झालावाड़। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने संकेत दिए है कि वह इस बार भी झालावाड़ जिले की झालरापाटन विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ेंगी। वसुंधरा राजे ने 1 मई को अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा किया। वसुंधरा राजे ने 2018 में में झालारापाटन से बंपर जीत हासिल की थी।
राजस्थान की सबसे हाई प्रोफाइल सीट झालरापाटन पर सबकी निगाहें टिकी थीं, जहां से वसुंधरा राजे और कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह के बीच मुकाबला था। वसुंधरा राजे ने पूर्व विदेश मंत्री जसंवत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह को 33 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। हालांकि, वसुंधरा राजे की पार्टी बीजेपी को विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था।
हाड़ौती भाजपा का परंपरागत गढ़ माना जाता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में झालावाड़ जिले की चारों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। इससे पहले 2013 के चुनाव में भी हाड़ौती अंचल के कोटा, बूंदी, झालावाड़ और बांरा की 17 सीटों में से कांग्रेस को मात्र एक सीट पर जीत हासिल हुई थी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है 2023 के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होगा। लेकिन इस बार राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का असर दिखाई दे सकता है। भारत जोड़ो यात्रा ने मध्यप्रदेश से वसुंधरा राजे के गढ़ झालावाड़ से ही राजस्थान में एंट्री ली थी।
यात्रा में जबर्दस्त भीड़ उमड़ी थी। देखना होगा कि यह भीड़ वोट में बदलती है या नहीं। इस बार वसुंधरा राजे और कांग्रेस के उम्मीदवार के बीच कड़ा मुकाबला होने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के झालावाड़ की जनता पर भरोसा रहा है। झालावाड़ से वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह सांसद है। झालावा़ड़ के वोटर्स पर वसुंधरा राजे की पकड़ मजबूत मानी जाती है।
यहीं वजह है कि दुष्यंत सिंह लगातार जीत हासिल करते आ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे को यहां के अपने वोटबेस पर इतना भरोसा है कि वह कहती रहीं है कि यह हमारा घर है। नामांकन के बाद एक बार भी यहां न आऊं, तो भी जीत जाऊंगी।