चीतागढ़ भी बन सकता है अब शेरगढ़, कोषवर्द्धन में हो रहा चीता का घर तैयार

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कोटा। बारां जिले का शेरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य जो कि झालावाड़ की भी सीमा से भी लगता है लगता है केंद्र सरकार को चीते का नया घर मिल सकता है? ये तो भविष्य ही बताएगा लेकिन जल बिरादरी के बाघ चीता मित्रों ने कहा है कि शेरगढ़ में भलें ही आज शेर के नाम पर सिर्फ कुछ तेंदुऐ हो ,भविष्य में चीते की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

बाघ चीता मित्र बृजेश विजयवर्गीय एवं बूंदी के वन्यजीव विशेषज्ञ विट्ठल सनाढ्य ने कहा है कि हाडौती में शेरगढ अच्छा चीता का घर साबित होगा। हालांकि कोटा का मुकुंदरा में भी एक दो पॉइंट सावन भादों को नामीबिया के विशेषज्ञों ने उचित माना है। कोटा के वन्यजीवों के जानकारों ने भी इसकी सिफारिश की है।

परवन नदी के किनारे स्थित प्राचीन कोषवर्द्धन के किले को जहां पुरातत्व की दृष्टि से सजाया संवारा जा रहा है वहीं जंगल पाडाखोह के जंगल में हमेशा पानी की उलब्धता के लिए झील में जल संरक्षण का काम हो रहा है। इसी प्रकार नदी के पास अमलावदा वन खण्ड में नवनिर्मित एनीकट में टैंकर में पानी डालने के कुछ ही समय बाद पैंथर पानी पीने आ गया।

अटरू के बडोरा के निकट बारापाटी के जंगल में वन विभाग से ट्रेक भी तैयार किए है जहां जहां का स्वागत द्वार ही बतात है कि यहां कुछ नया होने वाला है। इसी प्रकार नाहरिया नदी के किनारे प्राकृतिक संपदा इस जगल को उम्दा स्वरूप प्रदान करता है।

वनस्पतिः शेरगढ़ में दौरा करने पहुंचे सहायक वन संरक्षक राजबिहारी मित्तल बताते हैं कि धोकडा, बांस, जामुन, तेंदु, अर्जुन, सालर, पलाश, टेंसू , करौंदे, सागवान आदि के पेड़ बहुतायत से हैं। फलदार पेड़ों की मौजूदगी बताती है कि जहां काफी समृद्ध है।

वन्यजीवः वन्यजीवों में जहां पैथर, नील गायें, लोमड़ी, काले हिरण, सांभर, खरगोश अनेक पक्षियों का आश्रय स्थल है। संरक्षणविद् बृजेश विजयवर्गीय का कहना है कि शेरगढ़ अभ्यारण्य में पर्याप्त स्टाफ व रैंज आफिसर्स के पद खाली नहीं होना चाहिए। वन रक्षक भी पर्याप्त हों और आवश्यक साधनों में दो से तीन चौपहिया वाहन हर रैंज में होने चाहिए। अमलावदा के सहायक वन पाल रमेश शर्मा का मानना है कि जंगल में चीता रह सकता है।

विट्ठल सनाढ्य ने कहा कि सुरक्षा के बंदोबस्त पर ही चीेते का भविष्य निर्धारित होगा। बाघ चीता मित्रों विजयवर्गीय व सनाढ्य ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि प्रस्ताव बना कर केंद्र को भेजा जाए। चीता के लाने से बारां व झालावाड़ ही नहीं संपूर्ण हाड़ौती का पर्यटन विकास होना सुनिश्चित है।