देश में 130 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का ई-रुपया चलन में: सीतारमण

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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को बताया कि 28 फरवरी तक प्रायोगिक आधार पर देश में 130 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का ई-रुपया चलन में है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 1 नवंबर, को 2022 थोक खंड (ई-डब्ल्यू) और 1 दिसंबर 2022 को खुदरा खंड (ई-आर) में डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किए थे।

सीतारमण ने कहा कि नौ बैंक जिनमें भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी शामिल हैं डिजिटल रुपये के थोक पायलट प्रोजेक्ट में भाग ले रहे हैं।

सीतारमण ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ” 28 फरवरी 2022 तक कुल खुदरा और थोक डिजिटल ई-रुपया क्रमशः 4.14 करोड़ रुपये और 126.27 करोड़ रुपये है।

ई-रुपया एक डिजिटल टोकन के रूप में है और यह एक लीगल टेंडर है। यह उसी मूल्यवर्ग में जारी किया जा रहा है जिसमें वर्तमान में कागजी मुद्रा और सिक्के जारी किए जाते हैं। यह वित्तीय मध्यस्थों, यानी बैंकों के माध्यम से वितरित किया जा रहा है। उपयोगकर्ता भाग लेने वाले बैंकों की ओर से पेश किए गए डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई-रुपये का लेनदेन कर सकते हैं और मोबाइल फोन व अन्य उपकरणों पर संग्रहित कर सकते हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि 2014 तक चलन में मौजूद मुद्रा 13 लाख करोड़ रुपये थी जो मार्च 2022 में बढ़कर 31.33 लाख करोड़ रुपये हो गई। बैंक नोटों और सिक्कों सहित प्रचलन में मौजूद मुद्रा जीडीपी के अनुपात में मार्च 2014 में 11.6 प्रतिशत था जो 25 मार्च 2022 को बढ़कर को बढ़कर 13.7 प्रतिशत हो गया है।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 1.48 लाख करोड़ रुपये से अधिक के शुद्ध अतिरिक्त खर्च के लिए सोमवार को लोकसभा की मंजूरी मांगी। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों का दूसरा बैच लोकसभा में पेश किया।

उन्होंने कहा, ‘2,70,508.89 करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय को अधिकृत करने के लिए संसद की मंजूरी मांगी गई है। इसमें से शुद्ध नकदी से जुड़े प्रस्ताव कुल 1,48,133.23 करोड़ रुपये है। इसके अलावे सकल अतिरिक्त व्यय से मेल खाते खर्चे जो मंत्रालयों/विभागों की बचत या बढ़ी हुई प्राप्तियों/वसूली से मेल खाते हैं करीब 1,22,374.37 रुपये हैं।

इस अतिरिक्त खर्च में उर्वरक सब्सिडी के लिए 36,000 करोड़ रुपये और दूरसंचार विभाग के लिए 25,000 करोड़ रुपये शामिल हैं। इसके अलावे 33,718 करोड़ रुपये रक्षा पेंशन व्यय के लिए हैं।