नई दिल्ली। फरवरी के दूसरे पखवाड़े में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की तरफ से हुई बिकवाली में वित्तीय सेवा और टिकाऊ उपभोक्ता कंपनियों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही। प्राइम इन्फोबेस के आंकड़ों के मुताबिक, एफफीआई ने 2,263 करोड़ रुपये के वित्तीय शेयर बेचे जबकि उन्होंने 1,111 करोड़ रुपये के टिकाऊ उपभोक्ता शेयरों की बिकवाली की।
सूचना प्रौद्योगिकी (708 करोड़ रुपये की बिकवाली), धातु व खनन (694 करोड़ रुपये) और बिजली (497 करोड़ रुपये) अन्य क्षेत्र थे जहां विदेशी फंडों ने शेयर बेचे।दूसरी ओर एफपीआई ने सेवा फर्मों के 2,250 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे जबकि ऊर्जा कंपनियों के 1,290 करोड़ रुपये के शेयर और पूंजीगत सामान बनाने वाली फर्मों के 1,155 करोड़ रुपये के शेयरों की लिवाली की। कंस्ट्रक्शन मैटीरियल और कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में संचयी तौर पर करीब 700 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी हुई।
फरवरी के आखिरी पखवाड़े में एफपीआई की बिकवाली कुल मिलाकर 486 करोड़ रुपये के आसपास रही।फरवरी के दूसरे पखवाड़े में बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश के दो सबसे बड़े क्षेत्र वित्तीय व सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) से निकासी बताती है कि एफपीआई का बिकवाली का रुख बरकरार है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, कुल मिलाकर विदेशी निवेशक अभी भी निवेश निकासी कर रहे हैं। आईटी व वित्तीय सेवा क्षेत्र ने उन्हें कुछ लाभ या नाममात्र के नुकसान के साथ निवेश निकासी का मौका दिया।
तेल व गैस क्षेत्र के शेयरों में खरीदारी की वजह चीन के बाजार के दोबारा खुलने की पृष्ठभूमि में मांग का सकारात्मक होना है। साथही भारतीय सेवा क्षेत्र के विस्तार ने एफपीआई को तेजी का रुख अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
एसऐंडपी ग्लोबल इंडिया सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स जनवरी के 57.2 से बढ़कर फरवरी में 59.4 पर पहुंच गया, जो फरवरी 2011 के बाद का सर्वोच्च स्तर है।बिकवाली के बावजूद फरवरी के आखिर में सबसे ज्यादा 33.81 फीसदी क्षेत्रीय आवंटन वित्तीय सेवा क्षेत्र में हुआ, जो पहले 33.77 फीसदी था।