अब राजस्थान में एकता का संदेश देने आ रहे अरुण सिंह

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
राजस्थान में एक ही दिन में भारतीय जनता पार्टी के विधानसभा के घेराव के आधिकारिक कार्यक्रम और उसी दिन पूर्व मुख्यमंत्री के जन्मदिन के मौके पर भाजपा के कार्यकर्ताओं की चूरू जिले के सालासर में बड़ी सभा के कारण पार्टी की एकता की छवि पर पड़ने वाली छाया का असर अब साफ नजर आने लगा है।

पार्टी में किसी भी तरह के आंतरिक मतभेदों के संकेतों को टालने के लिए प्रदेश भाजपा के प्रभारी अरुण सिंह कार्यकर्ताओं में पार्टी की एकजुटता का संदेश देने के लिए खुद शनिवार को जयपुर आ रहे हैं और अपने एक दिवसीय प्रवास के दौरान वे दोनों ही कार्यक्रमों में भाग लेकर जनता के बीच पार्टी में एकजुटता का संदेश देना चाहेंगे।

यह संदेश देने के लिए वे पहले जयपुर में भाजपा के ‘ताजा-ताजा’ निर्धारित किए गए घेराव कार्यक्रम में भाग लेंगे और बाद में श्रीमती वसुंधरा राजे के जन्मदिन के मौके पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में भी हिस्सेदार बनेंगे।

हालांकि पहले प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक के मसले पर राज्य सरकार के प्रति विरोध जताने के लिए भारतीय जनता पार्टी के अग्रिम संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा की ओर से जयपुर में राजस्थान विधानसभा के घेराव का कार्यक्रम तय किया गया था, लेकिन शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष के सदन की कार्यवाही 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिए जाने की घोषणा के बाद अब शनिवार को विधानसभा की जगह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जयपुर में सिविल लाइन स्थित आवास का घेराव करने का नया कार्यक्रम निर्धारित किया गया है।

इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए राज्य भाजपा की प्रभारी अरुण सिंह शनिवार सुबह विमान से जयपुर पहुंच रहे हैं। समझा जाता है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर अरुण सिंह के अचानक जयपुर आने का यह कार्यक्रम तय किया गया है। क्योंकि इसके पहले राजकीय अवकाश के दिन शनिवार को जयपुर में “सूनी विधानसभा” के बाहर घेराव में पार्टी के राजस्थान के प्रभारी के भाग लेने के किसी कार्यक्रम की कोई घोषणा नहीं की गई थी।

शनिवार को ही एक ही दिन भारतीय जनता युवा मोर्चा के हाल ही में बनाए गए घेराव के कार्यक्रम और पिछले महीने से ही तय श्रीमती वसुंधरा राजे के जन्म दिवस के मौके पर चूरू जिले के सालासर बालाजी में बड़ा जलसा और जनसभाओं को लेकर जनता के बीच पार्टी में धड़ेबाजी और अंतर्कलह का गलत संदेश जा रहा था।

इस अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए आनन-फानन में प्रभारी अरुण सिंह की जयपुर आने और अपने प्रवास के दौरान युवा मोर्चा के घेराव के कार्यक्रम में शामिल होने के साथ-साथ श्रीमती वसुंधरा राजे के जन्मोत्सव पर आयोजित होने वाले जलसे में भी उनकी शिरकत के कार्यक्रम बनाए गए हैं।

वैसे भी यह राजस्थान विधानसभा का चुनावी साल है। यहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेताओं खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने वाले दिनों में लगातार कई दौरे तय करके प्रदेश में भाजपा की जीत को सुनिश्चित करने की कार्य योजना बनाई जा रही है।

ऐसे में प्रदेश में भाजपा के पहले से ही एक नहीं बल्कि कई गुटों में बटे होने के उपरांत भी सार्वजनिक रूप से यही संदेश देने की कोशिश की जाती रही है कि पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक है। कोई मनमुटाव नहीं है। कोई अंतर्कलह नहीं है।

वैसे भी आमतौर पर प्रदेश भाजपा के नेता ऐसी किसी चर्चा को बढ़ावा नहीं देते। यदि कोई नौबत आती भी है तो वे अपनी पार्टी की जगह कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच टकराव पर राग-चर्चा छेड़ देते हैं, ताकि उनकी अपनी कलह के मसले से उनका पिण्ड छूट जाए।