नई दिल्ली । केंद्रीय कैबिनेट ने वीवीआईपी कल्चर को खत्म करते हुए लाल और नीली बत्ती के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने का फैसला ले लिया है। बुधवार को यह फैसला लिया गया। 1 मई को मजदूर दिवस के दिन से यह फैसला लागू होगा। यह रोक केंद्रीय मंत्रियों और अफसरों पर लागू होगी।
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने साफ कर दिया है कि लालबत्ती की इजाजत पीएम को भी नहीं होगी। इसके अलावा, ये फैसला राज्य सरकार पर भी लागू होगा। हालांकि, इमर्जेंसी सर्विसेज को नीली बत्ती के इस्तेमाल की इजाजत रहेगी। सरकार मोटर वीकल ऐक्ट के उस प्रावधान को ही खत्म करने जा रही है, जो केंद्र और राज्य सरकार के कुछ खास लोगों को लाल बत्ती की इस्तेमाल की इजाजत देता है। गडकरी ने बताया कि उन्होंने अपनी गाड़ी पर लगी लाल बत्ती को भी हटा दिया है।
गडकरी अपनी सरकारी गाड़ी से इस बत्ती को हटाने वाले पहले नेता हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार आम लोगों की सरकार है इसलिए हमने लाल बत्ती और हूटर्स का वीवीआईपी कल्चर खत्म करने का फैसला किया है।’ मंत्री ने इसे बड़ा लोकतांत्रिक फैसला बताते हुए कहा कि जल्द ही इस विषय में नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। बता दें कि काफी वक्त से सड़क परिवहन मंत्रालय में इसपर काम चल रहा था। इससे पहले, पीएमओ ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई थी। यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय में लगभग डेढ़ साल से लंबित था। इस दौरान पीएमओ ने पूरे मामले पर कैबिनेट सेक्रटरी सहित कई बड़े अधिकारियों से चर्चा की थी।
रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने लाल बत्ती वाली गाड़ियों के इस्तेमाल के मुद्दे पर कई सीनियर मंत्रियों से चर्चा की, जिसके बाद उन्होंने पीएमओ को कई विकल्प दिए थे। इन विकल्पों में एक यह था कि लाल बत्तियों वाली गाड़ी का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद किया जाए। दूसरा विकल्प यह कि संवैधानिक पदों पर बैठे 5 लोगों को ही इसके इस्तेमाल का अधिकार हो। इन 5 में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा स्पीकर शामिल हों। हालांकि, पीएम ने किसी को भी रियायत न देने का फैसला किया।