प्रकृति का परंपरा और कला का विज्ञान से मेल जरूरी: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

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बीकानेर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत की कला शैली प्राचीन काल से ही उच्च स्तरीय रही है। सिंधु घाटी की सभ्यता से हमारी कला विकसित रही है। प्रकृति का परंपरा से सदैव नाता रहा है। नदी की मौज, मयूर के नृत्य और कोयल की बोली में भी संगीत है।

राष्ट्रपति मुर्मू सोमवार को डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में 14वें और बीकानेर में पहले राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि देश में कई कलाएं और प्रतिभाएं अब भी कलाकारों के संगठित नहीं होने के कारण छिपी हुई हैं। ऐसी कला और संस्कृति को सामने लाना है, ताकि आनेवाली पीढ़ियों तक उन्हें पहुंचा सके। इनको पहचानना आसान नहीं है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कलाकारों का आह्वान किया कि वे इस कार्य को करें। मैं उन्हें यह सौंपना चाहती हूं कि वे गांवों में उन्हें ढूंढ़े और आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि प्रकृति का परंपरा और कला का विज्ञान से मेल जरूरी है। कला एवं संस्कृति के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग आवश्यक है। इंटरनेट का हमारी कला को लाभ मिला है। राष्ट्रपति ने कहा कि हम पश्चिम की ओर देखते हैं, जबकि हमें अपनी समृद्ध और संपन्न संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि सच्चे कलाकारों का जीवन तपस्या का उदाहरण होता है। इससे युवाओं को प्रेरणा मिलती है और सीखने को भी मिलता है। राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन से राष्ट्रीय एकता भावना मजबूत होती है। विभिन्न प्रदेशों की कला एवं संस्कृति जानने समझने का मौका देते हैं। कला के क्षेत्र की प्रतिभाओं को अपने हुनर के प्रदर्शन का अवसर प्रदान करते हैं।

महोत्सव एकता का प्रतीक: इस मौके पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि राजस्थान सात वार और नौ त्योहार वाला प्रदेश है। यहां महोत्सव में विभिन्न संस्कृतियों की एकता का प्रतीक है। राजस्थान की धरती के कण कण में लोक कलाओं, संस्कृति और परंपराओं का जो रूप देखने को मिलता है, वैसा कहीं नहीं मिलता।

राष्ट्रपति के आगमन से उत्साह और उमंग: पूर्व केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि इस महोत्सव में करीब एक हजार कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रपति का ऐसे महोत्सव का उद्घाटन करने आना कलाकारों और राजस्थान की जनता में उत्साह का संचार कर गया है। इस मौके पर मंच पर प्रदेश के कला, संस्कृति और शिक्षा मंत्री डॉ. बी डी कल्ला और बीकानेर की महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित मौजूद थीं।

छाया डेजर्ट सिंफनी का जादू: इस मौके पर पद्मश्री से सम्मानित कलाकार अनवर खान की सुपर हिट डेजर्ट सिंफनी का खूब जादू चला । इसमें ‘रंग रंगीलो रस भरयो म्हारो प्यारो राजस्थान, म्हारो प्यारो हिंदुस्तान’ की प्रस्तुति ने दर्शकों को झूमने को मजबूर कर दिया। इस प्रस्तुति के बाद राष्ट्रपति ने अनवर खान ग्रुप में शामिल बच्चों के साथ फोटो खिंचवाया उनसे बात की और उन्हें दुलारा। इसके अलावा कल्पेश दलाल और संजय शर्मा के निर्देशन में “सौरभ संस्कृति” की उम्दा पेशकश ने भी दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। इस प्रस्तुति में देश के विभिन्न लोकनृत्यों को एक सूत्र में पिरोकर पेश किया।