-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। KOTA in Rajasthan budget: मुख्यमंत्री के रूप में चुनावी साल में अशोक गहलोत का मौजूदा सरकार में वित्त मंत्री के रूप मेंं पांचवा और अंतिम बजट राजस्थान के कोटा संभाग को बहुत कुछ दे गया। इसमें नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के ड्रीम प्रोजेक्ट चंबल रिवर फ्रंट के दूसरे चरण के लिए बजट में प्रावधान है जिसमें कम से कम दूसरे चरण की शुरुआत तो हो सकेगी जो एक अच्छी पहल है तो कोटा को देश की पहली माइनिंग यूनिवर्सिटी का तोहफा भी इसी बजट के जरिए मिलने वाला है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वित्त मंत्री के रूप में शुक्रवार को राजस्थान विधानसभा में पेश बजट में कोटा के पर्यटन की दृष्टि से सृजित किए जा रहे चंबल रिवर फ्रंट के दूसरे चरण की मंजूरी की घोषणा करते हुए इसके लिए बजट में 350 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है जो एक अच्छी पहल है।
क्योंकि पहले चरण का काम अब लगभग अंतिम दौर में है और आने वाले समय में कभी भी इसे पर्यटकों के लिये खोला जा सकता है। ऐसी स्थिति में कोटा (उत्तर) से विधायक और वर्तमान में नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट के दूसरे चरण को मंजूर करवाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे थे, जिसे वे पूरी तरह से ग्रीन फील्ड के रूप में विकसित करना चाहते हैं तो उनकी आकांक्षाएं इस बजट के जरिए पूरी होगी। मुख्यमंत्री ने दूसरे चरण को बजट के साथ मंजूरी देने का प्रावधान कर लिया है।
श्री धारीवाल पहले ही बता चुके हैं कि चंबल रिवर फ्रंट के दूसरे चरण के काम को शुरू करवाने की कोशिशें निश्चित रूप से रंग लाने वाली है। कोटा में एक और जहां पहले चरण में बनाए गए इस रिवर फ्रंट को पुरातात्विक-ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान किया गया है तो दूसरे चरण में हरीतिमा पट्टी के रूप में प्राकृतिक तरीके से डिजाइन करवा कर इसे एक ग्रीन फील्ड के रूप में विकसित किया जाएगा।
बाहर से आने वाले पर्यटकों को न केवल कोटा के पुरातात्विक-ऐतिहासिक सौंदर्य की झलक मिल सके। बल्कि हरीतिमा पट्टी के रूप में प्राकृतिक सुंदरता को निहारने का अवसर मिले। श्री धारीवाल ने बताया था कि चंबल रिवर फ्रंट के दूसरे चरण पर भी तकरीबन एक हजार करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। फिलहाल मुख्यमंत्री ने अपने बजट में रिवर फ्रंट के लिये 350 करोड़ रुपए का प्रावधान तो कर ही दिया है। एक बार इस चरण का काम शुरू हो जाने के बाद बजट भी आवश्यकतानुसार मिलता रहेगा।
प्रदेश में कोटा स्टोन और सेंड स्टोन के लिए अपनी अलग पहचान बनाने वाले कोटा संभाग को मुख्यमंत्री ने माइनिंग यूनिवर्सिटी का नायाब तोहफा देने का ऐलान किया है। जिसमें ने केवल खनन संबंधित सैद्धांतिक और प्रायोगिक शिक्षा दी जाएगी। बल्कि इस विश्वविद्यालय के माध्यम से खनन-खदानों के विकास पर शोध का काम भी किया जा सकेगा। निश्चित रूप से इससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
कोटा संभाग में जहां बूंदी जिला का कोटा डेम, बुद्धपुरा, डाबी आदि क्षेत्र सेंड स्टोन के लिए जाना जाता है तो कोटा जिले के रामगंजमंडी, मोडक, सातल खेड़ी कुदायला जैसे क्षेत्र व झालावाड़ जिले में जग प्रसिद्ध कोटा स्टोन की सैकड़ों खानें हैं जहां हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
न्यूरोसाइंस सेंटर की स्थापना की घोषणा: इसके अलावा कोटा को बजट में कोटा मेडिकल कॉलेज के उच्च विशेषज्ञता चिकित्सालय में न्यूरोसाइंस सेंटर की स्थापना की घोषणा की गई है, जो ना केवल समूचे कोटा संभाग बल्कि प्रदेश भर के न्यूरो संबंधित बीमारियों से पीड़ित रोगियों के उपचार की दृष्टि से एक मील का पत्थर साबित होगा। न्यूरो साइंस सेंटर की स्थापना के बाद कोटा में मस्तिष्क रोग से संबंधित विशिष्ट विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति होगी, जिनके जरिए न्यूरो साइकेट्री, न्यूरो रिहैबिलिटेशन, न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, न्यूरो एनेस्थीसिया से जुड़े चिकित्सा विशेषज्ञों की सेवाएं पूरे प्रदेश के ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के लोगों को भी मिलेगी।
सरकार की इस पहल का कोटा के जाने-माने न्यूरो फ़िजीशियन एवं विशेषज्ञ और वर्तमान में कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के पद पर आसीन डॉक्टर विजय सरदाना ने जमकर तारीफ की है और कहा है कि इस न्यूरोसाइंस सेंटर के जरिए कोटा में एक ही छत के नीचे अति विशिष्ट विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं मस्तिष्क रोगियों को उपलब्ध होगी जो एक बड़ा बदलाव साबित होगा। इसके अलावा न्यूरो साइंस सेंटर की स्थापना के बाद कोटा में लकवा की जांच के लिए चलित स्ट्रोक यूनिट के घरों तक पहुंचने की व्यवस्था हो सकेगी, जो एक बड़ी उपलब्धि होगी।