नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया आम बजट के एक सप्ताह बाद रेपो दर में एक बार फिर बढ़ोतरी कर सकता है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वृद्धि की यह गति उतनी आक्रामक नहीं होगी, जितनी मई, 2022 से दिसंबर के बीच देखने को मिली है। 2023-24 का आम बजट एक फरवरी को पेश होगा।
6.50% पर पहुंच जाएगी नीतिगत दर : रॉयटर्स के सर्वे में शामिल 52 में से 40 अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि केंद्रीय बैंक 6 फरवरी से मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की होने वाली बैठक में रेपो दर को 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर सकता है। इसके बाद पूरे साल नीतिगत में बढ़ोतरी का अनुमान नहीं है। इसका मतलब है कि 2023 के अंत तक रेपो दर 6.50 फीसदी पर ही बनी रहेगी।
पिछली सख्ती के आकलन की जरूरत: कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि रेपो दर बढ़ाने से पहले आरबीआई को यह देखने की जरूरत है कि उसकी पिछली मौद्रिक सख्ती का आर्थिक वृद्धि दर और महंगाई पर क्या असर पड़ा है। मेरा मानना है कि केंद्रीय बैंक को 6.50 फीसदी के बाद भी रेपो दर में इजाफा करना चाहिए।
सबसे तेज रह सकती है विकास दर: अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2023-24 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6 फीसदी रह सकती है। जीडीपी की यह दर दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले सबसे तेज होगी। इसके बावजूद अर्थव्यवस्था की यह रफ्तार करोड़ों भारतीयों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए जरूरी संख्या में रोजगार पैदा करने में पर्याप्त नहीं होगी।
5 फीसदी रहेगी महंगाई: सर्वे में दावा किया गया है कि 2023-24 में औसत खुदरा महंगाई 5 फीसदी रह सकती है। 2024-25 में यह घटकर 4.9% पर आ जाएगी।