कोटा। नंबर बढ़ाने की बदले में छात्राओं की अस्मत से खिलवाड़ करने वाले जेल में बंद आरटीयू एसोसिएट प्रोफेसर समेत तीनों आरोपियों का सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट में पेश किया गया। आरोपियों ने कोर्ट से वॉइस सेंपल देने के लिए इनकार कर दिया।
जबकि आवाज नमूना लेने के लिए कोर्ट में विधि विज्ञान प्रयोगशाला की टीम मौजूद थी। आरोपियों के वॉइस सेंपल देने से इनकार करने पर उन्हें वापस जेल ले जाया गया। मामले में अगली तारीख पेशी 25 जनवरी को है।
विशिष्ट लोक अभियोजक हितेश जैन ने बताया इस मामले में जांच के दौरान डीएसटी की ओर से 20 जनवरी को सीजेएम कोर्ट में आरोपी एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार, छात्र अर्पित अग्रवाल, व ईशा यादव के वॉइस सैंपल लेने की एप्लीकेशन लगाई थी। जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया और न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम एक (उत्तर) कोटा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया था।
कोर्ट ने जेल अधीक्षक को निर्देश दिए थे कि आरोपी गिरीश परमार, अर्पित अग्रवाल, ईशा यादव को 23 जनवरी को कोर्ट में आवश्यक रूप से पेश करें। साथ ही आवाज नमूना लेने के लिए निदेशक विधि विज्ञान प्रयोगशाला कोटा को कोर्ट में बुलाया था। कोर्ट ने आज तीनों आरोपियों से वॉइस सेंपल देने के बारे में पूछा। तीनों ने सेंपल देने से मना कर दिया। अब जो ऑडियो जब्त हुए है, वो ही उनकी वॉइस मानी जाएगी। अब चालान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
क्या था मामला
राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी कोटा के एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ उसी की स्टूडेंट ने फिजिकल रिलेशन के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए दादाबाड़ी थाने में शिकायत दी थी। जिस पर 20 दिसंबर को पुलिस ने मामला दर्ज किया था। 21 दिसंबर को पुलिस ने आरोपी प्रोफेसर गिरीश परमार व बिचौलिए स्टूडेंट अर्पित अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। बाद में जांच के बाद ईशा यादव को भी गिरफ्तार किया था। प्रोफेसर की कारगुजारी के कई ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे।