महंगाई से जूझ रही जनता को इस बार आम बजट में टैक्स में छूट की दरकार

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नई दिल्ली। नए स्लैब के प्रति आयकरदाताओं को आकर्षित करने के लिए सरकार बजट में कर दरों में बदलाव कर सकती है। नया टैक्स स्लैब दो साल बाद भी व्यक्तिगत करदाताओं को लुभाने में नाकाम रहा। इनमें नया टैक्स स्लैब चुनने वालों की संख्या नगण्य रही।

नए टैक्स स्लैब में बदलाव : नए स्लैब में 5 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट मिल सकती है। अभी इस पर 5 फीसदी टैक्स लगता है। 30 फीसदी के अधिकतम स्लैब को घटाकर 25 फीसदी किया जा सकता है। होम लोन के ब्याज पर छूट दी जा सकती है। स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।

बढ़ सकती है करमुक्त आय: वर्तमान में टैक्स छूट की न्यूनतम सीमा 2.5 लाख रुपये है। 2014-15 के बाद इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। उस समय यह लिमिट दो लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की गई थी। महंगाई और कोरोना महामारी के बाद बचत की बढ़ी जरूरत को देखते हुए सरकार बेसिक लिमिट को बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर सकती है। इससे खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।

80सी के तहत 2.5 लाख की सीमा: आयकर कानून की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट को लेकर वर्षों से कोई घोषणा नहीं हुई है। कर संग्रह के मोर्चे पर चालू वित्त वर्ष अच्छा रहने की वजह से सरकार 80सी के तहत छूट की सीमा को 1.50 लाख से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये कर सकती है। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया का कहना है कि 80सी का दायरा बढ़ाने से लोगों को बचत करने का मौका मिलेगा। स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को भी 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया जा सकता है।

80सी से अलग प्रावधान: सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में योगदान की सालाना सीमा को मौजूदा 1.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये तक किया जा सकता है। इसमें कई वर्षों से बदलाव नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फी, म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं पहले से ही 80सी के दायरे में आती हैं। इसलिए, पीपीएफ में पर्याप्त योगदान की गुंजाइश नहीं बचती है। इसके लिए अलग से प्रावधान किया जा सकता है।

बढ़ सकता है 80डी का दायरा
कोरोना के बाद स्वास्थ्य बीमा की बढ़ी हुई लागत के साथ मध्य वर्ग पर वित्तीय बोझ बढ़ा है। इस बोझ को कम करने के लिए डॉक्टर शुल्क और जांच जैसे खर्चों के लिए 80डी का दायरा बढ़ाया जा सकता है। टोक्यो लाइफ इंश्योरेंस के कार्यकारी निदेशक सुभ्रजीत मुखोपाध्याय ने कहा कि 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है। ऐसे में जीवन बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर अलग से टैक्स छूट का प्रावधान किया जा सकता है। स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी की दर को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया जा सकता है।

होम लोन लेने के नियमों में ढील: विशेषज्ञों का कहना है कि होम लोन को किफायती बनाने के लिए होम लोन पर ब्याज दरों को कम करने की जरूरत है। वैसे तो लोन की दरें आरबीआई की नीतिगत दरों पर निर्भर करती हैं, लेकिन बजट होम लोन लेने के नियमों में ढील देकर मकान खरीदारों को राहत दिया सकता है। इसमें डाउनपेमेंट की न्यूनतम सीमा घटाई जा सकती है। 

बढ़ सकती है होम लोन के ब्याज पर छूट: मकान खरीदारों के लिए 80ईईए के तहत होम लोन के ब्याज पर छूट की 1.50 लाख रुपये की मौजूदा सीमा को बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया जा सकता है। किफायती आवास के तहत संपत्तियों के लिए 45 लाख के प्राइस बैंड को 75 लाख रुपये किया जा सकता है।