घूसखोर एएसपी दिव्या का नाम उत्कृष्ट सेवा से सम्मानित होने वालों की सूची से हटाया

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अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एटीएस-एसओजी) की ओर से जारी वह आदेश जिसमें स्मृति चिन्ह से सम्मानित होने वाले अधिकारियों की सूची में दिव्या मित्तल का नाम शामिल है।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Excellent service award to bribery Divya Mittal: हरिद्वार की एक फार्मा कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में एएसपी पद से निलंबित दिव्या मित्तल का नाम अब उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किये जाने वाली सूची से भी हटा दिया गया है।

यह सनसनीखेज मामला सामने आने के बाद दो करोड़ रुपए की रिश्वत के मामले में गिरफ्तारी के बाद से ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की हिरासत में पूछताछ के लिए रखी गई अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दिव्या मित्तल को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित करने के आदेश उसी के विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एटीएस-एसओजी) ने गुरुवार को वापस भी ले लिया है।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एटीएस-एसओजी) ने गत 12 जनवरी को एक आदेश जारी करके सेवाओं उत्कृष्ट सेवाओं के लिए ऐसे 28 अधिकारियों के नामों की सूची जारी की थी, जिन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया जाना था।

इसमें क्रम संख्या 20 पर अजमेर में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात दिव्या मित्तल का नाम भी शामिल था। उसे स्मृति चिन्ह से सम्मानित किए जाने का आदेश जारी किए जाने के महज पांच दिन बाद ही उन्हें हरिद्वार की एक फार्मा कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपए की घूस मांगने के मामले में उसे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली।

अब उसे स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित करने का आदेश देने वाले अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एटीएस-एसओजी) ने ही यह संशोधित आदेश जारी किया है कि अतिरिक्त महानिदेशक (सतर्कता) ने 17 जनवरी सूचना दी है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने धारा 7.7 ए और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) के तहत दिव्या मित्तल को गिरफ्तार किए जाने के बाद निलंबित कर दिया गया है। इसलिए संशोधित आदेश जारी करके स्मृति चिन्ह दिए जाने वाले अधिकारियों की सूची से उनका नाम हटाया जाता है।

निगरानी तंत्र पर काला धब्बा: यह समूचा प्रकरण भी पुलिस की निगरानी तंत्र पर एक काला धब्बा है। क्योंकि जो पुलिस अधिकारी भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त था। उसे दो करोड रुपए की रिश्वत की मांगने के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। तो आखिर पुलिस के आंतरिक सतर्कता विभाग को इस बात की जानकारी क्यों नहीं हुई कि उसका कौन सा अधिकारी भ्रष्टाचार की गतिविधियों में संदिग्ध है?

पुलिस विभाग की किरकिरी: ऐसी ही जानकारियों के अभाव में दिव्या मित्तल जैसों का नाम पहले उत्कृष्ट सेवाओं के लिए स्मृति चिन्ह पाने वाले अधिकारियों की सूची में शामिल किया गया। बाद में दो करोड़ रुपए की घूस मांगने के आरोप में गिरफ्तार होते है तो उस आदेश को निरस्त करके पुलिस विभाग को अपनी किरकिरी करवानी पड़ती है।