श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन सुन वात्सल्य प्रेम से सराबोर हुए श्रद्धालु

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छप्पन भोग स्थल पर आयोजित श्रीमद भागवत कथा का पांचवा दिन

कोटा। छप्पन भोग परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को व्यासपीठ पर विराजमान गिरिशानन्द महाराज ने श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कृष्ण की बाल लीलाओं ने तो सृष्टि के पालक भगवान ब्रह्मा को भी मोह लिया था।

लेकिन, धन्य वे गोकुल की गलियां हैं, जहां भगवान ने विचरण किया, गोकुल की गोपियां, गय्या, वहां के कंदमूल व फल तक धन्य हैं, जिन्हें प्रभु की लीलाओं का प्रसाद मिला। अत: प्रभु की कृपा उन्हीं को मिलती है जिनके चित्त में कृष्ण भक्ति का भाव होता है। हमें सांसारिक मोहमाया को छोड़कर प्रभु की शरण में जाना चाहिए। तभी जीवन रूपी नैय्या पार होगी। कथा में गिरिशानन्द महाराज द्वारा पूतना वध, माखन चोरी, गोवर्धन पर्वत, बकासुर वध, कालिया नाग के प्रसंग सुनाए।

साथ ही छप्पन भोग का महत्व भी बताया। कृष्ण भजनों के माध्यम से संगीतमय कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन सुन श्रद्धालु वात्सल्य प्रेम से सरोबार हो गए। पूरा पांडाल राधे-राधे के जयकारो से गूंजायमान रहा। मुझे मिल गया अनोखा प्यार, बिरज की गलियों में, मैं तो गोवर्धन को जाऊं मेरे वीर ना माने मेरा मनवा..आदि भजनों पर महिला-पुरूष श्रद्धालु नृत्य करते रहे।

कृपा की रस्सी, नाम का कांटा
भगवान कृष्ण के नाम के प्रथम अक्षर कृ में कांटे समान र की मात्रा का महत्व बताते हुए गिरिशानन्द महाराज कहते हैं कि जिस प्रकार कुएं में गिरी बाल्टी को बाहर निकालने के लिए उसमें कांटा लगाना होता है। इसी प्रकार भगवान कृष्ण के नाम में र का कांटा लगा हुआ है। कृपा की रस्सी, नाम का कांटा अर्थात जिसके मन, वाणी, प्रेम में कृष्ण बसे हैं, जिन पर भी ठाकुर जी की कृपा होती है, वो कितनी ही गहराइयों में फंसा हुआ हो अराध्य कृष्ण उसे संकट से निकाल ही लेते हैं।

उत्सव पर अपनाएं दान-पुण्य की संस्कृति
कथावाचक गिरिशानन्द महाराज ने श्रद्धालुओं को भारतीय संस्कृति के अनुसार उत्सव मनाने की शिक्षा देते हुए कहा कि वर्तमान में क्लब और पार्टी क्लचर समाज पर हावी हो रहा है। जन्मदिन, विवाह वर्षगांठ आदि शुभ पर्व, उत्सव आदि को परिवार जनों के साथ निर्धनों को दान-पुण्य कर मनाएं। इसे व्यक्ति विशेष व परिवार की कीर्ति बढ़ेगी। साथ ही समाज में एक सकारात्मक संदेश जाएगा। दिन में 20 मिनट ठाकुर जी के लिए अवश्य निकालें। अगर आप ठाकुर जी की सेवा के व्यस्त रहेंगे तो ठाकुर जी की कृपा नहीं होगी।