राजस्थान में कोरोना को लेकर अलर्ट मोड पर गहलोत सरकार, मॉक ड्रिल हुई

0
190

जयपुर। राजस्थान में कोरोना को लेकर गहलोत सरकार अलर्ट मोड पर है। प्रदेश में कोविड प्रबंधन के लिए आज मंगलवार को राजकीय चिकित्सा संस्थानों में मॉकड्रिल आयोजित की गई। प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा टी रविकांत ने बताया कि कोविड संक्रमण बढ़ने पर बेहतरीन प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए यह मॉकड्रिल आयोजित की गयी।

एसएमएस मेडिकल कॉलेज एवं सम्बद्ध अस्पतालों सहित प्रदेश के सभी चिकित्सा संस्थानों में आयोजित इस मॉकड्रिल में ओपीडी एवं आईपीडी की व्यवस्थाओं, ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट्स एवं स्टोरेज टैंक, वेंटीलेटरर्स एवं ऑक्सीजन कॉन्सनटेटर्स की क्रियाशीलता, आईसीयू बैड्स एवं साधारण बैड्स की उपलब्धता, दवा वितरण केन्द्रों में उपलब्ध दवा स्टॉक, चिकित्सकीय एवं नर्सिंग स्टाफ की उपलब्धता सहित अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं का चिकित्साधिकारियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने जायजा लिया।

आईसोलेशन वार्डों की व्यवस्था सुनिश्चित: शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग डॉ. पृथ्वी ने बताया कि मॉकड्रिल के दौरान सभी उपकरणों को सुचारू रखवाने, आवश्यकता पड़ने पर आईसोलेशन वार्डों की व्यवस्था सुनिश्चित रखने, कोविड सैम्पल सेन्टर्स को सक्रिय रखने सहित विभिन्न आवश्यक पहलुओं का गंभीरता से निरीक्षण किया गया एवं संबंधित कार्मिकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।

कोरोना को लेकर उच्च स्तरीय बैठक: उन्होंने कहा कि प्रदेश में पिछले सप्ताहोें की रिपोर्टस के अनुसार कोविड पॉजिटिवीटी रेट मात्र 0.1 प्रतिशत है और वर्तमान स्थिति एकदम सामान्य है फिर भी किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्थाएं पूरी तरह सुदृढ़ है। बता दें, इससे पहले सीएम गहलोत ने कोरोना को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की थी। बैठक में बताया गया कि सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का उपयोग करना चाहिए। मास्क कोविड के अलावा अन्य बीमारियों में भी लाभदायक है।

कोटा में स्ट्रैचर एंबुलेंस में ही फंस गया
उधर कोटा में कोरोना से ग्रसित मरीज को अस्पताल में इलाज के लिए लाए और एम्बुलेंस से निकालने के दौरान अगर स्ट्रैचर एम्बुलेंस में फंस जाए तो मरीज और नर्सिंग स्टाफ दोनों के लिए ही ये काफी परेशानी वाली बात है। लेकिन कोटा के मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में कोरोना के इलाज की व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए किए गए पूर्वाभ्यास में ऐसा ही वाकया हो गया।

एम्बुलेंस में मरीज को लेकर आया गया लेकिन स्ट्रैचर बाहर ही नहीं निकला। स्ट्रैचर एंबुलेंस में ही फंस गया। कुछ देर की मशक्कत के बाद मरीज को उठा कर दूसरे स्ट्रेचर पर रखना पड़ा। लेकिन स्ट्रेचर नहीं निकला। काफी कोशिश करने के बाद भी जब स्टेशन नहीं निकला तो मरीज को नर्सिंग कर्मियों ने उठाकर नीचे दूसरे स्टेशन पर रखा। यहां ऑक्सीजन मास्क लगाया गया।