नयी दिल्ली। देशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को तेल-तिलहन कीमतों में मिला-जुला रुख रहा। एक ओर जहां सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल और बिनौला तेल कीमतों में बढ़त दिखी वहीं दूसरी ओर कच्चा पाम तेल कीमतों में गिरावट आई। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 1.5 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि शिकॉगो एक्सचेंज फिलहाल 0.3 प्रतिशत मजबूत है।
सूत्रों ने कहा कि कल शिकॉगो एक्सचेंज 1.5 प्रतिशत मजबूत रहा था। इसके अलावा जाड़े की मांग निकलने से सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन और बिनौला तेल कीमतों में सुधार है। जबकि मलेशिया एक्सचेंज में 1.5 प्रतिशत की गिरावट आने से कच्चे पामतेल (सीपीओ) के भाव हानि दर्शाते बंद हुए। सामान्य कारोबार के बीच सोयाबीन तिलहन और पामोलीन तेल के भाव अपरिवर्तित रहे।
उन्होंने कहा कि वायदा कारोबार में आज बिनौला तेल खली के दिसंबर अनुबंध के भाव में साढ़े पांच प्रतिशत की तेजी आने के बाद ऊपरी सर्किट लगाना पड़ा। यही हाल बना रहा तो इससे खली की मांग प्रभावित हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप दूध, पनीर, घी और मक्खन महंगे हो सकते हैं जिससे मुद्रास्फीति बढने का खतरा हो सकता है।
सूत्रों ने कहा कि सोमवार को साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएान (एसईए) ने जो अप्रैल से नवंबर 2022 के दौरान तेल खली के निर्यात लगभग दोगुना होने के संबंध में आंकड़े जारी किये थे वे निश्चित रूप से अपने पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले वृद्धि को दर्शाते हैं।
उल्लेखनीय है कि निर्यात में हुई इस वृद्धि में सबसे अधिक योगदान बाकी तिलहनों के मुकाबले सरसों का था। जब अप्रैल-मई, 2022 में विदेशी तेल के दाम आसमान छू रहे थे तो देशी तेल सरसों, मूंगफली, बिनौला आदि तेलों के दाम आयातित तेलों से सस्ते थे और इन देशी तिलहन के डीआयल्ड केक (डीओसी) एवं खली का निर्यात से तेल कीमतों के घाटे को पूरा करने में मदद मिली थी।
सूत्रों ने कहा कि इंदौर स्थित एक अन्य तेल संगठन ‘सोपा’ के आंकड़ों के अनुसार पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में सोया खली का निर्यात पिछले वित्त वर्ष (2019-20) के 9.84 लाख टन से लगभग दोगुना होकर लगभग 20.37 लाख टन हो गया था। इस आंकड़े की तुलना में अप्रैल-नवंबर 2022 में सोयाबीन खली का निर्यात पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 2.19 लाख टन के मुकाबले बढ़कर 3.26 लाख टन हुआ है। सूत्रों ने कहा कि जिस तरह से पिछले एक दो वर्षो में तिलहनों की पैदावार बढ़ी है, उस हिसाब से खली निर्यात में वृद्धि बहुत अधिक नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार, शुल्कमुक्त आयात की छूट केवल उन्हीं सोयाबीन प्रसंस्करण संयंत्रों और रिफाइनरों को दे जो तेल निकालने के साथ डीओसी का निर्यात करता हो। इससे साल्वेंट मिल वालों को आयात एवं स्थानीय मूल्य में अंतर होने से पेराई में जो नुकसान हो रहा है उसे डीओसी के निर्यात से कम करने में भी मदद मिलेगी। तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,025-7,075 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।मूंगफली – 6,485-6,545 रुपये प्रति क्विंटल।मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,250 रुपये प्रति क्विंटल।मूंगफली रिफाइंड तेल 2,445-2,710 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 14,050 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,130-2,260 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,190-2,315 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,350 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,900 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,850 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,200 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना – 5,600-5,700 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 5,410-5,460 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।