कोटा। विश्व मृदा संरक्षण दिवस पर चम्बल संसद और जल बिरादरी की ओर से ऑनलाइन विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कहा गया कि खेतों में रासायनिक खादों के अनियंत्रित इस्तेमाल से उपजाऊ मिट्टी की कमी हो रही है। जिसका सीधा असर खाद्य प्रणाली पर होगा।
शहरों में सीमेंट की परतें बिछाने से भी मिट्टी की कमी होगी, जो कि भविष्य में हरियाली को खत्म कर तापमान बढ़ा देगी। शहरों में तो पेड़ लगाने की जमीन ही बहुत सीमित हो गई है। उसी का परिणाम है कि आज सर्दी के मौसम में भी दिन गर्म है और रातों को तापमान भी बढा हुआ है।
जल बिरादरी के प्रदेश उपाध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय एवं चम्बल संसद के सदस्य बाॅयालोजिस्ट डा. कृष्णेंद्र सिंह ने स्मृति वन अनंतपुरा का दौरा कर बताया कि वहां काफी समय से हो रहे अवैध खनन के कारण मृदा खत्म हो गई। इस कारण पौधारोपण के लिए वन विभाग को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कोटा एनवायरमेंटल सेनीटेशन सोसायटी के सचिव विनीत महोबिया ने कहा कि वेस्ट मैनेजमेंट को सुधार कर कचरे के पृथक्कीकरण के माध्यम से गीले कचरे को खाद में परिवर्तित किया जाए। खेतों की मेड़ पर फलदार पेड़ लगा कर मिट्टी को कटाव से बचाया जा सकता है।
कृष्णेंद्र सिंह ने कहा कि पेड़ पौधों के चारों ओर सीमेंट की मोटी परत बिछाने से मिट्टी के सूक्ष्मजीव समाप्त हो जाते हैं। मिट्टी ही परोक्ष रूप से विभिन्न प्रकार के जीवों का भरण पोषण करती है। सिंह ने मृदा संरक्षण के सुझावों के तहत कई तरीकों पर प्रकाश डाला। पूर्व पार्षद युधिष्ठिर चानसी ने कहा कि पशु पालन और गोबर की खाद से भूमि की उर्वरता को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।