–कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। “बिन मांगे मोती मिले……।” इस कहावत की तर्ज पर जब राजस्थान में कोटा के दोनों नगर निगम के प्रशासन ने नेता प्रतिपक्षों को कारों के साथ ड्राइवर और एक गार्ड की व्यवस्था की तो उनकी बांछें खिल गई।
हालांकि इनमें से एक नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष बनाए गए पार्षद ने इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने निगम प्रशासन से ऐसी कोई सुविधा मांगी थी जबकि दूसरे निगम के नेता प्रतिपक्ष नेता ने कहा कि चूंकि उनके पास कोई गाड़ी नहीं है इसलिए उन्होंने निगम प्रशासन से गाड़ी का प्रबंध करने का अनुरोध किया था।
इस मसले को लेकर एक बार फिर से कोटा (उत्तर) विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल के वह सभी समर्थक पार्षद फिर से सक्रिय हो गए हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की ओर से कोटा नगर निगम (उत्तर) में बनाए गए नेता प्रतिपक्ष लव शर्मा को खारिज करते हुए अपनी ओर से नंदकिशोर मेवाड़ा को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया है।
कोटा नगर निगम उत्तर के भारतीय जनता पार्टी के 14 पार्षदों में से आठ पार्षदों और चार निर्दलीय पार्षदों का समर्थन नंदकिशोर मेवाड़ा को हासिल है। जबकि इस नगर निगम में भाजपा की केवल 14 ही पार्षद हैं। इस हिसाब से भारतीय जनता पार्टी को 70 सदस्यीय नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष घोषित करने के लिए कम से कम पार्षदों का समर्थन होना चाहिए।
इन आठ भाजपा पार्षदों के पार्टी की ओर से घोषित नेता प्रतिपक्ष को ठुकरा कर अपनी ओर से नगर निगम प्रशासन को भारतीय जनता पार्टी के पार्षद दल से असम्बद्ध घोषित करने के अनुरोध पत्र के सौंपे जाने के बाद भाजपा को समर्थन देने वाले पार्षदों की संख्या घटकर केवल छह ही रह गई है। शेष आठ भाजपा पार्षद अलग खेमे में है, जिन्हें चार निर्दलीय उन पार्षदों का समर्थन हासिल है, जो पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण बगावत करके चुनाव लड़े और जीते थे।
यानि कोटा नगर निगम दक्षिण में नेता प्रतिपक्ष को बिना मांगे ही गाड़ी मिल गई जबकि कोटा नगर निगम उत्तर में भारतीय जनता पार्टी से बगावत करने के बाद भी निगम प्रशासन उनकी ओर से घोषित किए गए नेता प्रतिपक्ष को स्वीकार तक नहीं कर रहा है। सुविधाएं देना तो दूर की बात है। इन दोनों नगर निगम परिसर में नेता प्रतिपक्ष को निगम प्रशासन पहले ही दफ्तर दे चुका है जहां नेता प्रतिपक्ष ने बैठना भी शुरू कर दिया है। वहां लोग अपनी फरियाद लेकर के भी जा रहे है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से कोटा नगर निगम (दक्षिण) में घोषित किए गए नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी ने इस बात से इनकार किया कि उनकी और से गाड़ी मांगी गई थी। उन्होनें कहा कि उनके पास तो पहले से ही अपनी निजी गाड़ी है। उन्होंने निगम से कोई गाड़ी की मांग नहीं की थी, जबकि कोटा नगर निगम उत्तर में नेता प्रतिपक्ष घोषित किए गए लव शर्मा ने कहा कि उनके पास अपनी गाड़ी नहीं है। चूंकि अपनी जिम्मेदारी वहन करने के लिए उन्हें निगम कार्यालय में कक्ष और स्टाफ के साथ एक गाड़ी की भी जरूरत होगी। इसलिए उन्होंने गाड़ी देने के लिए कहा था।
इन्हें ही नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने को लेकर विवाद है। इस बीच आज कोटा नगर निगम (उत्तर) में भाजपा पार्षदों नंदकिशोर मेवाड़ा, नवल सिंह हाडा, रामगोपाल लोधा, पूजा सुमन, पूजा केवट, रवि मीणा, संदीप नायक, कुसुम सैनी व समान विचारधारा के चार निर्दलीय पार्षद बलविंदर सिंह बिल्लू, बीरबल लोधा, राकेश सुमन पुटरा व मेघा गुर्जर ने बयान जारी करते हुए कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब नेता प्रतिपक्ष बनने से सत्ता पक्ष में ज्यादा खुशी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इन दोनों नेता प्रतिपक्ष को सारी सुविधाएं देना यह बताता है कि यह निर्णय दोनों महापोरों का नहीं बल्कि यह निर्णय स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल का है। वह चाहते हैं कि दोनों मजबूत रहे ताकि अगले विधानसभा चुनाव में पूर्व की भांति उनकी मदद करते रहें। पार्षदों ने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व व मंत्री शांति धारीवाल ने यह निर्णय इसलिए लिया है कि शायद उन्हें उम्मीद ही नहीं पूरा भरोसा है कि जब आने वाले चुनाव में वे प्रत्याशी के रूप में भारतीय जनता पार्टी के सामने आएंगे, तो यही पार्षद भारतीय जनता पार्टी के बजाय किसकी मदद करेंगे। यह सर्वविदित है।
पार्षदों ने कहा कि निगम में कांग्रेस के बोर्ड के दो वर्ष के कार्यकाल में जिन्होंने एक बार भी बोर्ड के खिलाफ कुछ नहीं बोला, निगम की अव्यवस्थाओं के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा, यह इसी का प्रतिफल है कि दोनों निगमों में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद सारी सुविधाएं दी गई है। इससे स्पष्ट है कि नेता प्रतिपक्ष बनने से सत्तापक्ष में हर्ष की लहर है ताकि नगर निगम बोर्ड अपना शेष बचा कार्यकाल ‘फ्रेंडली फाइट’ करते हुए ही पूरा कर लेगा।