किसानों को जरूरत के अनुसार समान मात्रा में उर्वरकों का वितरण सुनिश्चित किया जाए

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जयपुर। कृषि मंत्री लालचन्द्र कटारिया ने अधिकारियों को यूरिया की आपूर्ति एवं उपलब्धता की प्रतिदिन समीक्षा करते हुए सभी किसानों को बुवाई क्षेत्र के आधार पर आवश्यकतानुसार समान मात्रा में उर्वरकों का वितरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

कटारिया शनिवार को यहां निवास पर विभागीय उच्चाधिकारियों के साथ राज्य में यूरिया उर्वरक की आपूर्ति एवं उपलब्धता की समीक्षा कर रहे थे। कृषि मंत्री ने अधिकारियों को केंद्र सरकार से समन्वय स्थापित कर प्रतिदिन यूरिया की 8 रैक एवं डीएपी की 1 रैक की आपूर्ति सुनिश्चित करवाने के लिए प्रयास करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रारदर्शी तरीके से उर्वरकों का वितरण सुनिश्चित करते हुए सभी किसानों को उनकी जरूरत के मुताबिक गुणवत्तायुक्त उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करें।

प्रमुख शासन सचिव दिनेश कुमार ने उर्वरक की आपूर्ति, उपलब्धता एवं जरूरत से अवगत कराते हुए बताया कि केंद्र सरकार की ओर से रबी 2022-23 (अक्टूबर से मार्च) सीजन के लिए 14.50 लाख मैट्रिक टन यूरिया एवं 4.50 लाख मैट्रिक टन डीएपी की मांग स्वीकृत की गई थी।

उर्वरक मंत्रालय ने अक्टूबर में 4.50 लाख मैट्रिक टन के विरूद्ध 2.89 लाख मैट्रिक टन यूरिया एवं 2 लाख मैट्रिक टन के विरूद्ध 1.65 लाख मैट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति की है। इस प्रकार 1.61 लाख मैट्रिक टन यूरिया एवं 35 हजार मैट्रिक टन डीएपी की कम आपूर्ति हुई है। इसी प्रकार इस महीने में भी अभी तक 1.57 लाख मैट्रिक टन यूरिया एवं 50 हजार मैट्रिक टन डीएपी ही आपूर्ति किया गया है।

शासन सचिव ने बताया कि राज्य में अच्छी वर्षा होने के कारण जलाशयों में पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता होने के मध्यनजर रबी फसलों विशेषकर सरसों व चना फसल का क्षेत्रफल बढ़ा है, जिसकी बुवाई होना निरन्तर जारी है, जिससे भी उर्वरकों की मांग बढ़ी है।

कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि यूरिया की अधिक मांग वाले क्षेत्रों में तत्काल आपूर्ति के लिए रैक योजना तैयार कर केंद्र सरकार से अतिशीघ्र आपूर्ति के लिए आग्रह किया गया है। यूरिया आपूर्ति बढ़वाने के लिए किये गये प्रयासों के फलस्वरूप गत 2 दिनों में रैक की आपूर्ति बढ़ी है, जिसमें 3-4 रैक प्रतिदिन आपूर्ति की जा रही है परन्तु राज्य में अक्टूबर माह में कम आपूर्ति होने के कारण न्यूनतम 8 रैक प्रतिदिन की आवश्यकता है, जो केंद्र सरकार के स्तर से अपेक्षित है।