नयी दिल्ली। साख निर्धारण, जोखिम विश्लेषण समेत अन्य वित्तीय सेवाएं देने वाली कंपनी मूडीज ने वर्ष 2022 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर सात प्रतिशत कर दिया है। उसने कहा कि वैश्विक नरमी और घरेलू स्तर पर उच्च ब्याज दर आर्थिक गति को प्रभावित करेगी।
यह दूसरी बार है जब मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज ने 2022 के लिये भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को कम किया है। इससे पहले, सितंबर में उसने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.7 प्रतिशत कर दिया था। जबकि मई में इसके 8.8 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी।
वैश्विक वृहत आर्थिक परिदृश्य 2023-24 में कहा गया है, ‘‘भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 7.7 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत किया गया है। उच्च मुद्रास्फीति, अधिक ब्याज दर और वैश्विक वृद्धि दर में नरमी को देखते हुए जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को कम किया गया है। इन कारणों से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी।’’ मूडीज का अनुमान है कि वृद्धि दर 2023 में घटकर 4.8 प्रतिशत और 2024 में बढ़कर 6.4 प्रतिशत रहेगी।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, भारत की जीडीपी वृद्धि दर वर्ष 2021 में 8.5 प्रतिशत रही। आधिकारिक जीडीपी अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जून के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 13.5 प्रतिशत रही। यह जनवरी-मार्च तिमाही के 4.10 प्रतिशत के मुकाबले अधिक है। जुलाई-सितंबर तिमाही का जीडीपी का आंकड़ा इस महीने के आखिर में जारी किया जाएगा।
मूडीज ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट और तेल के दाम में तेजी से मुद्रास्फीति पर दबाव बना हुआ है। मुद्रास्फीति पिछले कुछ महीनों से रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊंची बनी हुई है।
खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 7.41 प्रतिशत रही जबकि थोक महंगाई दर लगातार 18वें महीने दहाई अंक 10.7 प्रतिशत रही। केंद्रीय बैंक ने महंगाई को काबू में लाने के लिये मई से सितंबर के बीच नीतिगत दर रेपो में 1.90 प्रतिशत की वृद्धि की है। मूडीज का अनुमान है कि रिजर्व बैंक महंगाई को काबू में लाने और विनिमय दर को समर्थन देने के लिये रेपो दर में 0.50 प्रतिशत के आसपास और वृद्धि कर सकता है।