Patra Chawl Case: संजय राउत की होगी रिहाई, जमानत के आदेश पर रोक खारिज

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मुंबई। Money Laundering Case: महाराष्ट्र में मुंबई की पीएमएलए कोर्ट ने बुधवार को शिवसेना सांसद संजय राउत और सह आरोपित प्रवीण राउत की जमानत के आदेश पर रोक को खारिज कर दिया है, उन्हें रिहा किया जाएगा।

करीब 101 दिन से जेल में बंद शिवसेना (Shiv sena) सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) को मुंबई की एक विशेष अदालत ने जमानत दे दी है। प्रवर्तन निदेशालय ने गोरेगांव के पात्रा चाल पुनर्विकास (Patra Chawl redevelopment project) मामले से उत्पन्न एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले (Money laundering case) के सिलसिले में 31 अगस्‍त को छापेमारी कर एक अगस्‍त को राउत को गिरफ्तार किया था।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले सप्ताह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने आदेश सुरक्षित रख लिया था।

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने राज्यसभा सदस्य संजय राउत को इस साल 1 अगस्‍त को उपनगरीय गोरेगांव में पात्रा चाल के पुनर्विकास के संबंध में वित्तीय अनियमितताओं में उनकी कथित भूमिका को लेकर गिरफ्तार किया था।

बता दें कि संजय राउत इस समय न्यायिक हिरासत में है और मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद है। राउत ने अपनी जमानत याचिका दाखिल की थी जिस पर ईडी ने राउत की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उन्होंने पात्रा चाल पुनर्विकास से संबंधित मनी लान्ड्रिंग मामले में एक प्रमुख भूमिका निभाई।

क्‍या है मामला: ईडी की जांच पात्रा चाल के पुनर्विकास और उनकी पत्नी और सहयोगियों से संबंधित वित्तीय लेनदेन में कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है। बता दें कि गोरेगांव में सिद्धार्थ नगर, जिसे पात्रा चाल के नाम से जाना जाता है, 47 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें 672 परिवार किराये पर रहते हैं।

गौरतलब है कि 2008 में, महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA), एक सरकारी एजेंसी, ने हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (GACPL) को चाल के पुनर्विकास को लेकर एक अनुबंध सौंपा था।

जिसमें जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट तैयार करते थे और इनमें से कुछ फ्लैट म्हाडा को भी देने थे। जबकि बाकी बची हुई जमीन निजी डेवलपर्स को बेची जा सकती थी। लेकिन बीते 14 वर्षों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला क्योंकि कंपनी ने पात्रा चाल का पुनर्विकास नहीं किया और ईडी से मिली जानकारी के अनुसार 1,034 करोड़ रुपए में अन्य बिल्डरों को भूमि पार्सल और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) बेच दिया।