16000 करोड़ के शेयर बायबैक को टीसीएस के शेयरधारकों की मंजूरी

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नई दिल्ली। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के शेयरधारकों ने 16,000 करोड़ रुपए के शेयर बायबैक की योजना को मंजूरी दे दी है। यह भारतीय पूंजी बाजार में सबसे बड़ा बायबैक है। दिग्गज आईटी कंपनी ने बही-खातों में अतिरिक्त नकदी को शेयरधारकों के साथ बांटने के मकसद से यह फैसला किया है।

पुनर्खरीद के प्रस्ताव के पक्ष में 99.81 फीसद शेयरधारकों ने वोट किया। फरवरी में टीसीएस के बोर्ड ने 16 हजार करोड़ के बायबैक को मंजूरी दी थी। इसके तहत कंपनी 2.85 फीसद यानी कुल 5.61 करोड़ शेयर खरीदेगी। देश में इतना बड़ा शेयर बायबैक कभी नहीं हुआ है। इससे पहले 2012 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 10,400 करोड़ रुपये के शेयरों की पुनर्खरीद की थी।

क्यों होता है बायबैक

शेयर बायबैक अमूमन प्रति शेयर कमाई में सुधार करता है। इससे शेयरधारकों के वास्तविक रिटर्न में बढ़ोतरी होती है। सुस्त बाजार की स्थिति के दौरान इससे शेयर की कीमत को समर्थन मिलता है।जब कंपनी मुनाफे का बड़ा हिस्सा नकद में रखती है तो शेयरधारकों की पूंजी पर वास्तविक रिटर्न घटता है। माना जाता है कि कंपनी के पास कैश के रूप में रखा पैसा भी शेयरधारकों का ही है। जब यह लौटाया जाता है तो रिटर्न बेहतर हो जाता है।

क्या है टीसीएस की स्थिति

आइटी कंपनियों पर लाभांश और बायबैक के जरिये अतिरिक्त नकदी को शेयरधारकों को लौटाने का दबाव है। टीसीएस देश की सबसे बड़ी आइटी कंपनी है। इसके पास 43,169 करोड़ रुपये सरप्लस कैश के रूप में हैं। यह कंपनी के बाजार पूंजीकरण का करीब 10 फीसद है।

कई कंपनियां कर चुकीं एलान

बीते हफ्ते इंफोसिस ने लाभांश और बायबैक के जरिये चालू वित्त वर्ष में 13,000 करोड़ रुपये की पुनर्खरीद योजना का एलान किया था। इस साल के शुरू में कंग्निजेंट ने भी 3.4 अरब डॉलर के शेयर बायबैक की घोषणा की थी। एचसीएल टेक्नोलॉजीज भी 3,500 करोड़ रुपये मूल्य के 3.5 करोड़ शेयरों के बायबैक को मंजूरी दे चुकी है।