नई दिल्ली। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने कहा कि भारत में इस साल अप्रैल-जून तिमाही में सोने की मांग 170.7 टन रही। एक साल पहले 119 टन की तुलना में यह 43% ज्यादा है। मूल्य के लिहाज से यह 54% बढ़कर दूसरी तिमाही में 79,270 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले 51,540 करोड़ रुपये था।
काउंसिल के अनुसार, महंगाई का ज्यादा असर गांवों में दिख रहा है। उन लोगों को ज्यादा बचत करने और सोने की खरीदी में मुश्किल आ रही है। देश में खुदरा महंगाई दर 7% से ऊपर है। साथ ही यह 6 महीने से आरबीआई के 6 फीसदी के लक्ष्य से भी ज्यादा है। हालांकि सोने का आयात कम होने से देश का कारोबार घाटा भी कम हो सकता है। इससे रुपये की गिरावट थामने में मदद मिलेगी।
कमजोर रुपये से बढ़ी सोने की कीमत: डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होने से सोने की कीमतें बढ़ने लगी हैं। साथ ही इस पर लगे आयात शुल्क से भी मांग पर असर दिख रहा है। अक्षय तृतीया और शादियों के कारण सोने की खपत जून तिमाही में ज्यादा रही। मार्च में सोने की कीमतें प्रति 10 ग्राम 43,994 रुपये थी जो जून में 46,504 रुपये हो गई।
800-850 टन की खपत का अनुमान: डब्ल्यूजीसी ने पहले अनुमान लगाया था कि सोने की खपत इस साल 800-850 टन रह सकती है। 2021 में यह 797 टन थी। अब यह 800 टन से नीचे जा सकती है। वैश्विक स्तर पर भी एक साल पहले की तुलना में अप्रैल-जून में सोने की कुल मांग 8 फीसदी गिरकर 948.4 टन रही है।
गोल्ड ईटीएफ में निवेश बढ़ा: रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी-मार्च तिमाही में गोल्ड ईटीएफ में निवेश 12 फीसदी बढ़कर 2,189 टन पर पहुंच गया जो एक साल पहले 1,951 टन था। छड़ और सिक्का की मांग 244.5 टन की रही। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साल के 6 महीने में 15 टन सोना खरीदा है। 2021 में 77 टन की खरीदी हुई थी।