नई दिल्ली। जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) में चार की जगह अब तीन स्लैब हो सकते हैं। 12 और 18 प्रतिशत की जगह 15-16 प्रतिशत का नया स्लैब तैयार किया जा सकता है। जीएसटी शुरू होने के वक्त से ही इसे दो स्लैब में लाने की चर्चा होती रही है। नया स्लैब इसी दिशा में एक कदम हो सकता है।
गत 28-29 जून को जीएसटी काउंसिल की बैठक में स्लैब में बदलाव को लेकर चर्चा नहीं की गई और इसे तीन माह के लिए टाल दिया गया है। लेकिन केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) का मानना है कि जीएसटी दरों को तार्किक बनाने के लिए स्लैब में बदलाव करना ही होगा।
अभी जीएसटी प्रणाली में पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत के स्लैब हैं। इसके साथ ही जीएसटी प्रणाली में कुछ और बदलाव लाए जा सकते हैं। सीबीआइसी चेयरमैन विवेक जौहरी के मुताबिक, ई-इनवायस के दायरे को बढ़ाया जा सकता है। अभी सालाना 20 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले कारोबारियों को ई-इनवायस जारी करना अनिवार्य है जिसे इस साल अप्रैल से लागू किया गया है।
अब 20 करोड़ की सीमा को घटाकर पांच से 10 करोड़ के बीच किया जा सकता है। यानी पांच से 10 करोड़ रुपये के बीच सालाना कारोबार करने वालों के लिए जल्द ही ई-इनवायस अनिवार्य हो सकता है। ई-इनवायस से जीएसटी चोरी रोकने में मदद मिलती है। पिछले तीन साल में ई-इनवायस की अनिवार्यता सीमा को 500 करोड़ से घटाकर 20 करोड़ किया गया है।
गत एक जुलाई को जीएसटी दिवस के मौके पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, राजस्व सचिव तरुण बजाज और (सीबीआइसी) चेयरमैन विवेक जौहरी के समक्ष उद्यमियों ने जीएसटी प्रणाली को और बेहतर करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए थे। इसमें ई-इनवायस के लिए 20 करोड़ की सीमा को कम करने का भी सुझाव था। जौहरी ने अपने संबोधन में ई-इनवायस की सीमा को कम करने के सुझावों को सही ठहराते हुए जल्द ही फैसले लेने के लिए संकेत दिए थे।
जीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थापना जल्द
जौहरी ने कहा कि जीएसटी नियमों के पालन को लेकर तकनीकी मदद से कई बदलाव किए जा रहे हैं। जीएसटी नेटवर्क से जुड़ने वाले ग्राहकों का पूरा विश्लेषण किया जा रहा है। शिकायतों को तेज गति से निपटाने के मैकेनिज्म तैयार किए जा रहे हैं। विवाद के निपटान के लिए मध्यस्थता का सहारा लिया जा सकता है। जीएसटी काउंसिल इस साल जीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थापना पर भी फैसला ले सकती है। अगस्त के पहले सप्ताह में होने वाली काउंसिल की आगामी बैठक में जीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थापना पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।