मुंबई। महाराष्ट्र में राज्यसभा की 6 सीटों के लिए 10 जून को होने वाले चुनाव में राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख और मौजूदा कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक मतदान नहीं कर पाएंगे। दोनों की तरफ से मुंबई सेशंस कोर्ट में दायर की गई याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है। इस अदालत के फैसले के बाद महाविकास अघाड़ी गठबंधन की मुश्किल बढ़ना तय है।
बीजेपी ने पहले से ही शिवसेना के खिलाफ अपना तीसरा उम्मीदवार उतारकर एमवीए की मुश्किलों को बढ़ा दिया था। रही-सही कसर अदालत के इस फैसले से पूरी हो गई है। अनिल देशमुख के वकील ने अदालत से आदेश की सत्यापित कॉपी को जल्द से जल्द मुहैया करवाने की अपील की है। ताकि वह इस फैसले के खिलाफ मुंबई हाई कोर्ट में अपील कर सकें।
चाहे शिवसेना हो या फिर बीजेपी, जीत का दावा दोनों ही तरफ से हो रहा है। हालांकि इस जीत के लिए उन्हें कुछ निश्चित वोटों की जरूरत भी है। बीजेपी के पास फिलहाल विधानसभा में 106 सीटें हैं। इस लिहाज से 2 सीटों पर उनके जीत तय मानी जा रही है। इसके बाद भी बीजेपी के पास 22 वोट अतिरिक्त हैं।
इसके अलावा बीजेपी 7 निर्दलीय विधायकों के समर्थन का भी दावा कर रही है। इन सबके बावजूद जीत के लिए बीजेपी को 13 अतिरिक्त वोटों की जरूरत होगी। जिसके लिए बीजेपी को छोटी राजनीतिक पार्टियों और अन्य बचे हुए निर्दलीय विधायकों का समर्थन जरूरी है।
दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी की बात करें तो 2 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाली शिवसेना के पास कुल 55 वोट हैं। जबकि एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। तीनों ही दल बड़ी आसानी के साथ अपनी एक-एक सीट जीत सकते हैं। लेकिन चौथी सीट के लिए शिवसेना और उसके उम्मीदवार को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।
इसके बाद शिवसेना के पास 13, एनसीपी के पास 10 और कांग्रेस के पास 2 वोट अतिरिक्त बच रहे हैं। इस प्रकार महाविकास अघाड़ी गठबंधन के पास कुल 25 वोट हैं और उन्हें 42 का आंकड़ा छूने के लिए 17 वोटों की दरकार है। जीत सुनिश्चित करने के लिए इन्हें भी छोटे राजनीतिक दलों और निर्दलीय विधायकों के वोट की जरूरत है।