कोटा। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से बूंदी जिले के किसानों को जल्द बड़ी राहत मिलेगी। सेंट्रल वेयरहाउसिंग काॅर्पोरेशन करीब 15 से 20 करोड़ रूपए की लागत से इंद्रगढ़ के कांकरा डूंगर में 20 हजार मीट्रिक क्षमता के वेयर हाउस का निर्माण करेगा। इसके लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
कृषि उत्पादन के दृष्टिकोण से समृद्ध होने के बाद भी सम्पूर्ण बूंदी जिले में कोई सरकारी वेयरहाउस नहीं है। निजी स्तर पर जो वेयर हाउस बने हैं, उनकी क्षमता भी उत्पादन की तुलना में बेहद कम है। इस कारण किसानों को अपनी उपज को सहेजने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था। उन्हें बेहद महंगी दरों पर निजी वेयरहाउस में उपज को स्टोर करना पड़ता था।
दूसरी ओर एफसीआई और अन्य सरकारी एजेंसियों की ओर से समर्थन मूल्य पर की जाने वाली कृषि जिसों की खरीद में भी भंडारण क्षमता नहीं होने के कारण काफी परेशानी होती थी। कृषि जिंसों को भंडारण के लिए अन्य जिलों में पहुंचाने में थोड़ी सी भी देरी होने पर खरीद प्रक्रिया बाधित होने लगती थी।
लोकसभा अध्यक्ष बिरला किसानों के सामने आ रही इस कठिनाई को दूर करने के लिए लगातार प्रयासरत थे। उनकी कोशिशों से सेंट्रल वेयरहाउसिंग कार्पोरेशनल ने कांकरा डूंगर गांव में वेयर हाउस निर्माण पर सहमति व्यक्त की। उसके बाद विगत एक वर्ष से भूमि आवंटन की प्रक्रिया जारी थी।
अब बूंदी जिला प्रशासन ने सेंट्रल वेयरहाउसिंग कार्पोेरेशन को डिमांड नोट जारी किया है, जिसकी राशि इसी सप्ताह जमा हो जाएगी। इसके बाद डिजाइन और टेंडर प्रक्रिया पूरी कर अगले एक से डेढ़ वर्ष में इसका निर्माण कार्य पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे।
डेढ़ सौ लोगों को मिलेगा रोजगार
वेयर हाउस बनने से किसानों को कृषि उपज रखने की सहूलियत तो मिलेगी ही, स्थानीय स्तर पर सौ से डेढ़ सौ लोगों को रोजगार भी मिलेगा। वेयर हाउस में हेंडलिंग, लोडिंग-अनलोडिंग, पेस्टीसाइड जैसे अनेक कार्य होते हैं, जिसमें स्थानीय स्तर पर लोगों की आवश्यकता होती है।
किसानों को मिल सकेगा सुलभ ऋण
वेयरहाउस बनने के बाद यहां कृषि उपज रखने वाले किसाने रसीद के आधार पर बैंक से ऋण भी ले सकेंगे। इससे वे अन्य जगहों से महंगी दर पर ऋण लेने से बचेंगे, जहां उन्हें मोटी ब्याज दर अदा करनी पड़ती है।
इंपोर्ट-एक्सपोर्ट सेंटर भी बन सकेगा
वेयर हाउस के लिए चिन्हित की गई जमीन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के बेहद नजदीक है। वेयरहाउस बनने के बाद कार्पोरेशन यहां अतिरिक्त 2 हेक्टेयर भूमि के आंवटन की मांग राज्य सरकार को करेगा। यदि यह भूमि भी मिल जाती है तो स्टोरेज क्षमता तो बढ़ेगी ही यहां एक बड़ा डिपो भी तैयार हो जाएगा जो ड्राइपोर्ट के रूप में कृषि जिंसों के आयात-निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।