गलती से दी गई इंक्रीमेंट की वसूली कर्मचारी से रिटायरमेंट के बाद नहीं होगी: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। किसी कर्मचारी को गलती से दी गई इंक्रीमेंट की उसके रिटायरमेंट के बाद वसूली नहीं की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से सोमवार इस बारे में बड़ा फैसला सुनाया गया। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि कोई कर्मचारी ने कोई गलत बयानी या धोखाधड़ी नहीं किया (Fraud Committed By The Employee) है तो ऐसा नहीं किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी को किया गया अतिरिक्त भुगतान उसके रिटायरमेंट के बाद इस आधार पर नहीं वसूल किया जा सकता कि उक्त वेतन वृद्धि किसी गलती के कारण हुई थी। जस्टिस एस. ए. नज़ीर और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि अतिरिक्त भुगतान की वसूली पर रोक लगाने की अनुमति अदालतों द्वारा दी जाती है और यह कर्मचारियों के किसी अधिकार के कारण नहीं, बल्कि न्यायिक विवेक के तहत कर्मचारियों को उसके कारण होने वाली कठिनाई से बचाने के लिए है।

जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने केरल के एक सरकारी शिक्षक के पक्ष में फैसला सुनाया जिसके खिलाफ राज्य की ओर से गलत तरीके से वेतन वृद्धि देने के लिए वसूली की कार्यवाही शुरू की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी 20 साल की कानूनी लड़ाई को समाप्त कर दिया, वह केरल हाई कोर्ट में केस हार हार गए थे।

अपने पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई सरकारी कर्मचारी, विशेष रूप से जो सेवा के निचले पायदान पर है, जो भी राशि प्राप्त करता है, उसे अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए खर्च करेगा। पीठ ने कहा कि लेकिन जहां कर्मचारी को पता है कि प्राप्त भुगतान देय राशि से अधिक है या गलत भुगतान किया गया है या जहां गलत भुगतान का पता चला जल्दी ही चल गया है तो अदालत वसूली के खिलाफ राहत नहीं देगी।

इस मामले में, शिक्षक ने 1973 में स्टडी लीव ली लेकिन उन्हें इंक्रीमेंट देते समय उस अवकाश की अवधि पर विचार नहीं किया गया था। 24 साल बाद 1997 में उन्हें नोटिस जारी किया गया और 1999 में उनके रिटायर होने के बाद उनके खिलाफ वसूली की कार्यवाही शुरू की गई। इसके खिलाफ उन्होंने पहली बार केरल के मुख्यमंत्री के सार्वजनिक निवारण शिकायत ब्रांच से संपर्क किया, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली जिसके बाद वो हाई कोर्ट पहुंचे। यहां उनकी याचिका खारिज हो गई। इसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जहां उनके हक में फैसला आया।