लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, टकराव नहीं देश की जनता चाहती है सदनों में चर्चा

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पटना/नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए हमें हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं की घटती संख्या और उनमें कम होती बैठकों की संख्या की भी चिंता करनी चाहिए। देश की जनता का कल्याण टकराव और गतिरोध से नहीं बल्कि चर्चा और संवाद से ही संभव है। देश की जनता भी सदनों में यही देखना चाहती है। वे बुधवार को बिहार विधानसभा भवन में आयोजित विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम का शुभारंभ कर रहे थे।

बिहार विधान सभा के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में स्पीकर बिरला ने कहा कि जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त बनाना होगा। सदनों में जितनी अधिक चर्चा होगी, हमारा लोकतंत्र उतना ही अधिक मजबूत होगा। हंगामे के कारण नीतियों और कानून के निर्माण तथा जनहित से जुड़े विषयों पर सदनों में व्यापक चर्चा-संवाद नहीं हो पाता जो जनता के साथ अन्याय है। 

लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि अनुशासन और शालीनता हमारा आभूषण हैं। सदन अनुशासन-शालीनता से चलें यह जरूरी है। बहुदलीय संसदीय व्यवस्था में हम लोग अलग-अलग विचारधाराओं से चुनकर आते हैं। ऐसे में जनप्रतिनिधियों के बीच सहमति-असहमति स्वाभाविक है। इसके बावजूद प्रदेश की उन्नति और जनता के कल्याण के लिए हम सामूहिक प्रयास करें। आज विश्व के सभी देश लोकतंत्र के प्रति आस्था जता रहा है। भारत लोकतंत्र की जननी है। ऐसे में हमें लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को और सुदृढ़ बना मार्गदर्शक की भूमिका को जिम्मेदारी से निभाना होगा।

पहली बार निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को नसीहत देते हुए स्पीकर बिरला ने कहा कि सदन में कदम रखते ही उनका सबसे पहला काम नियम-प्रक्रियाओं को जानने का होना चाहिए। वे सदन की कार्यवाही में नियमित भाग लें, इससे वे न सिर्फ विधायी प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे बल्कि अपनी क्षेत्र की जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को सदन में अभिव्यक्त करने के अधिक अवसर भी तलाश सकेंगे। उन्हें अपने वरिष्ठ और अनुभवी विधायकों के अनुभव से भी सीखना चाहिए।

विधायी कार्यों में जनसहभागिता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए स्पीकर बिरला ने कहा कि समय की मांग है कि विधानमंडलों में सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग हो। देश के सभी विधानमंडल एक मंच पर आएं इसके लिए संसद भी प्रयासरत है। इसके लिए एक ऐप तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है जिसमें देश भर के विधानमंडलों की कार्यवाही, विधायी कार्यों, नियम, प्रक्रियाओं और परम्पराओं की सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी।

कार्यक्रम के दौरान स्पीकर बिरला ने बिहार विधानसभा के डिजिटल चैनल और पत्रिका का भी शुभारंभ किया। उन्होंने आशा जताई कि यह पत्रिका और डिजिटल चैनल, जनता तथा विधानसभा के बीच महत्वपूर्ण कड़ी की भूमिका निभाते हुए विधायी कार्यों में आमजन की सहभागिता को प्रोत्साहित करेंगे।

सदन में अपनी बात बुलंदी से रखें
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विधायकों की जिम्मेदारी अपने क्षेत्र की ही नहीं बल्कि संपूर्ण राज्य की है। इसी भावना से उनको पूरी बुलंदी से अपनी बात को गंभीरता से सदन में रखना चाहिए। पक्ष-विपक्ष के विधायकों के बीच आपसी सौहार्द का आह्वान करते हुए नीतीश ने कहा कि संसद भवन के सेंट्रल हॉल में यह परंपरा है कि अपने-अपने सदनों में विविध मुद्दों पर बहस के बाद सांसद गण सेंट्रल हॉल में परस्पर संवाद करते हैं। बिहार विधान मंडल के सदस्य भी इसी भावना से आपस में व्यवहार करें और विचार साझा करें।

फ्यूचरिस्टिक विजन के साथ हो कानून निर्माण
संसद के नियम और प्रक्रियाओं का जिक्र करते हुए राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश ने कहा कि इसमें अभी भी औपनिवेशिक प्रभाव है, जिसकी समीक्षा की जानी चाहिए। कानून निर्माण में देरी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस समस्या का निदान होना चाहिए क्योंकि इसका जनता के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमें फ्यूचरिस्टिक विजन के साथ कानून निर्माण के बारे में सोचना होगा जिससे वर्तमान की जटिल समस्याओं का निदान हो सके।

जनप्रतिनिधियों पर जनता की पैनी निगाह
बिहार विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि जनप्रतिनिधिओं पर हर क्षण जनता की पैनी निगाह लगी रहती है और जनता की अदालत में वे सदैव ही कटघरे में खड़े रहते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते हमें सदन में अधिक से अधिक उत्पादक और सकारात्मक भूमिका निभानी होगी जिससे जनता के सरोकारों को भली भांति समझा जा सके। कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री रेणु कुमारी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी संबोधित किया।