नई दिल्ली। पनामा पेपर लीक मामले में सोमवार को ऐश्वर्या राय बच्चन से प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 7 घंटे पूछताछ की। ऐश्वर्या से उनकी कंपनियों और बैंक अकाउंट्स के बारे में सवाल हुए। सूत्रों ने बताया कि ED ने ऐश्वर्या से पूछा कि उन्होंने 50 हजार डॉलर में खरीदी कंपनी महज 1500 डॉलर में क्यों बेच दी। अमिताभ बच्चन की बहू बनने के बाद कंपनियों को बंद क्यों कर दिया गया?
ED ने सोमवार को उनसे दिल्ली के लोकनायक भवन में पूछताछ की। ED के अधिकारी ऐश्वर्या के लिए सवालों की लिस्ट पहले ही तैयार कर चुके थे। वे शाम 7:30 बजे ED ऑफिस से रवाना हुईं। सूत्रों के मुताबिक ऐश्वर्या ED दफ्तर के पिछले दरवाजे से निकलीं। उन्होंने ED के सामने केस से जुड़े कुछ दस्तावेज भी सब्मिट किए हैं।
भारत के करीब 500 लोगों के शामिल होने की बात सामने आई थी। इनमें नेता, अभिनेता, खिलाड़ी, बिजनेसमैन हर वर्ग के प्रमुख लोगों के नाम हैं। इन लोगों पर टैक्स की हेराफेरी का आरोप है, जिसको लेकर टैक्स अथॉरिटी जांच में जुटी है।
पनामा पेपर्स मामले की लंबे समय से जांच चल रही है। ED के अधिकारी देश की कई बड़ी हस्तियों को जांच में शामिल कर चुके हैं। इसी कड़ी में एक महीने पहले अभिषेक बच्चन भी ED कार्यालय में पहुंचे थे। वे कुछ दस्तावेज भी ED अधिकारियों को सौंपे चुके हैं। ED सूत्रों की मानें तो जल्द ही इस मामले में उनके पिता अमिताभ बच्चन को भी ED नोटिस देकर बुलाने वाली है।
बच्चन परिवार का नाम क्यों?
साल 2016 में ब्रिटेन में पनामा की लॉ फर्म के 1.15 करोड़ टैक्स डॉक्युमेंट लीक हुए थे। इसमें दुनियाभर के बड़े नेताओं, कारोबारियों और बड़ी हस्तियों के नाम सामने आए थे। भारत की बात करें तो करीब 500 लोगों के नाम सामने आए थे। इसमें बच्चन परिवार का नाम भी शामिल है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अमिताभ बच्चन को 4 कंपनियों का डायरेक्टर बनाया गया था। इनमें से तीन बहामास में थीं, जबकि एक वर्जिन आइलैंड्स में। इन्हें 1993 में बनाया गया। इन कंपनियों की कैपिटल 5 हजार से 50 हजार डॉलर के बीच थी, लेकिन ये कंपनियां उन शिप्स का कारोबार कर रही थीं, जिनकी कीमत करोड़ों में थी।
ऐश्वर्या को पहले एक कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया था। बाद में उन्हें कंपनी का शेयर होल्डर डिक्लेयर कर दिया गया। कंपनी का नाम अमिक पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड था। इसका हेडक्वार्टर वर्जिन आइलैंड्स में था। ऐश्वर्या के अलावा उनके पिता के. राय, मां वृंदा राय और भाई आदित्य राय भी कंपनी में उनके पार्टनर थे। यह कंपनी 2005 में बनाई गई थी। तीन साल बाद यानी 2008 में कंपनी बंद हो गई थी।