नयी दिल्ली। विदेशों में मिले- जुले रुख के बावजूद आयात सस्ता होने की वजह से बुधवार को दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बिनौला और सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में गिरावट देखने को मिली। बाकी तेल तिलहनों के भाव पूर्ववत बने रहे। बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 2.1 प्रतिशत की तेजी रही जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में बुधवार को आधा प्रतिशत की गिरावट रही।
सूत्रों ने कहा कि मंडियों में बिनौला की नयी फसल की आवक बढ़ने तथा सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम के सस्ता होने से भी बिनौला तेल में गिरावट दर्ज हुई। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियां साठगांठ कर किसानों की उपज लूटने के लिए वायदा कारोबार में सोयाबीन का भाव नीचे चला रखी हैं। सोयाबीन का आयात करने का भाव हाजिर भाव से कहीं कम बैठता है। कांडला पोर्ट पर सोयाबीन का भाव 119 रुपये किलो बैठता है जबकि हाजिर भाव 121.50 रुपये किलो है। इस बेपड़ता कारोबार की वजह से सोयाबीन तेल तिलहन में गिरावट आई है।
उन्होंने मांग की कि वायदा कारोबार में पारदर्शिता की कमी होने की वजह से बड़ी कंपनियां यहां के कारोबार को प्रभावित करती हैं और मंडियों में उपज की आवक शुरु होते ही वायदा कारोबार में भाव तोड़कर किसानों को कम भाव में अपनी फसल बेचने को मजबूर किया जाता है।
सूत्रों ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में सोयाबीन की बिजाई के समय जब किसानों को सोयाबीन के बीज आसानी से नहीं मिल पा रहे थे, उस समय वायदा कारोबार में सोयाबीन का भाव था- लगभग 10,800 रुपये क्विन्टल। आज जब किसान उसी उपज को मंडियों में बेचने के लिए ला रहे हैं तो वायदा भाव लगभग 5,400 रुपये क्विन्टल चल रहा है।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, आठ अक्टूबर को सरसों का वायदा कारोबार बंद करने के समय सरसों के अक्टूबर अनुबंध का वायदा भाव घटाकर 8,040 रुपये क्विन्टल कर दिया गया। लेकिन जब डिलिवरी का समय आया तो 20 अक्टूबर को वायदा भाव बढ़ाकर लगभग 8,800 (सौदे का निचला भाव) रुपये क्विन्टल कर दिया गया।
सूत्रों ने कहा कि इसी प्रकार सरसों के नवंबर अनुबंध का भाव जयपुर हाजिर मंडी के भाव से 350-400 रुपये क्विन्टल नीचे रखा गया है। उन्होंने कहा कि इसी सौदे की डिलिवरी के समय यानी 18 नवंबर को इस भाव को बढ़ा दिया जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि देश के कांडला बंदरगाह पर सोयाबीन रिफाइंड के आयात का भाव 110 रुपये लीटर, पामोलीन 115 रुपये लीटर, सूरजमुखी रिफाइंड 109 रुपये लीटर, मूंगफली रिफाइंड 127 रुपये लीटर पड़ता है। इन तेलों की पैकिंग, सारे खर्च, जीएसटी तथा खुदरा, थोक एवं कंपनियों के मुनाफे को जोड़कर 25-30 रुपये लीटर का खर्चा आता है। उन्होंने कहा कि इस हिसाब से सोयाबीन रिफाइंड का भाव अधिकतम 137 रुपये लीटर आना चाहिये लेकिन बाजार भाव कहीं बहुत ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि अगर तिलहन उत्पादन में सही मायने में देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो सभी तेल तिलहन के वायदा कारोबार को बंद करना चाहिये जहां कोई पारदर्शिता नहीं है। बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे। बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन – 9,030 – 9,055 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये। मूंगफली – 6,050 – 6,135 रुपये। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,750 रुपये। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,005 – 2,130 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 17,960 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,715 -2,755 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,790 – 2,900 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 15,500 – 18,000 रुपये। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,880 रुपये। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,750 रुपये। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,200 सीपीओ एक्स-कांडला- 11,370 रुपये। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,500 रुपये। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,930 रुपये। पामोलिन एक्स- कांडला- 11,780 (बिना जीएसटी के)।सोयाबीन दाना 5,475 – 5,575, सोयाबीन लूज 5,275 – 5,375 रुपये। मक्का खल (सरिस्का) 3,825 रुपये प्रति क्विंटल।