इक्विटी और कमोडिटी बिजनेस के एकीकरण के लिए सेबी की मंजूरी जरूरी

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नई दिल्ली । इक्विटी और कमोडिटी डेरिवेटिव सेगमेंट में अपनी ब्रोकिंग गतिविधियों के एकीकरण के मामले में ब्रोकर्स को सेबी की मजूंरी की आवश्यकता होगी। यह नियंत्रण में बदलाव का संकेत देता है।

एकीकरण के अंतर्गत सेबी ब्रोकर्स को एकीकृत लाइसेंस प्रदान करता है। साथ ही वह सदस्यों को कमोडिटी डेरिवेटिव के साथ-साथ इक्विटी मार्केट में कारोबार के लिए स्पष्टता भी देता है।

इस कदम का उद्देश्य सदस्य स्तर पर संचालन और अनुपालन संबंधी दायित्वों की पूर्ति के लिए आर्थिक दक्षता को बढ़ाना है ताकि व्यापार करने में आसानी (ईज ऑफ डुईंग बिजनेस) हो सके।

इसके अलावा यह एकीकरण बाजार को विस्तार देने में मदद और स्टॉक एक्सचेंजों और सेबी की ओर से प्रभावी नियामक निरीक्षण की सुविधा भी प्रदान करेगा।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया, “केवल उन मामलों में जहां एकीकरण स्टॉक ब्रोकर/ क्लियरिंग मेंबर के नियंत्रण में परिवर्तित होता है, ब्रोकर को सेबी की ओर से अनुमोदन की जरूरत होगी।”

इसके अलावा, स्टॉक ब्रोकरों के बीच एकीकरण की सुविधा के लिए, नियामक ने कहा कि क्लाइंट अकाउंट ग्राहक की सहमति लेकर एक स्टॉक ब्रोकर से दूसरे तक स्थानांतरित किया जा सकता है।