नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि आईआईटी में दाखिला ले चुके छात्र को जेईई एडवांस्ड में बैठने से रोकने वाली शर्त पूरी तरह ठीक है। इसे बरकरार रखना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें इस शर्त को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया गया था।
जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एसआर भट्ट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने आईआईटी खड़गपुर की अपील को स्वीकार करते हुए कहा, आईआईटी की सीटें मूल्यवान सार्वजनिक संसाधन हैं और इनके संरक्षण के लिए ही यह शर्त रखी गई है। यह पूरी तरह वैध और न्याय संगत है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने छात्र सौत्रिक सारंगी की याचिका पर फैसला सुनाया था कि एक आईआईटी छात्र को जेईई (एडवांस्ड) में उपस्थित होने से रोकना, जबकि एक गैर-आईआईटी में प्रवेश लेने वाले छात्र पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाना भेदभाव है।
याचिकाकर्ता को जेईई एडवांस्ड 2021 में इसलिए नहीं बैठने दिया गया था, क्योंकि वह 2020 में आईआईटी खड़गपुर में दाखिला ले चुका था।