TRP Case: सचिन वाजे का कबूलनामा, अर्नब की गिरफ्तारी चाहते थे देशमुख

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मुंबई। पुलिस के पूर्व API सचिन वाजे (Sachin Vaze) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को बताया है कि ‘महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने उन्हें TRP मामले को आगे बढ़ाने और रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था’। वाजे ने अपने बयान में, यह भी खुलासा किया कि कई हाई-प्रोफाइल मामलों में उन्हें अनिल देशमुख द्वारा अपने घर पर बार-बार बुलाया गया और कार्रवाई के बारे में विस्तृत निर्देश दिए गए।

सचिन वाजे ने ED को दिए अपने बयान में कहा है- “TRP मामले में, अनिल देशमुख अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करना चाहते थे। दिलीप छाबड़िया मामले में देशमुख चाहते थे कि मैं उनके साथी के साथ लगभग 150 करोड़ रुपये का किसी तरह का समझौता कर लूं। सोशल मीडिया फेक फॉलोअर मामले में वह दोषियों के खिलाफ चौतरफा कार्रवाई करना चाहते थे।”

क्या है फर्जी TRP केस?
मुंबई के पूर्व सीपी परमबीर सिंह (Param Bir Singh) ने एक कथित ‘TRP घोटाले’ की जानकारी साझा करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसकी पुलिस जांच कर रही थी और रिपब्लिक टीवी और दो मराठी चैनलों – फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा का नाम लिया था। मुंबई पुलिस ने शुरू में हंसा रिसर्च के पूर्व कर्मचारी विशाल भंडारी सहित दस लोगों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने कबूल किया कि ‘विनय नाम के एक व्यक्ति ने उन्हें 5 पैनल घरों में लगाने के लिए कहा था। (1000 रुपये बांटने के लिए कमीशन के रूप में 5000 रुपये का भुगतान किया था, ताकि उन्हें रोजाना इंडिया टुडे को 2 घंटे देखने के लिए कहा जा सके।) जबकि परमबीर सिंह ने रिपब्लिक टीवी का नाम लिया था, लेकिन न तो FIR, शिकायत, रिमांड कॉपी और न ही गिरफ्तार व्यक्तियों के बयानों में चैनल का जिक्र था।

इसके बावजूद, मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एग्जीक्यूटिव एडिटर निरंजन नारायणस्वामी (Niranjan Narayanaswamy), सीनियर एग्जीक्यूटिव एडिटर अभिषेक कपूर (Abhishek Kapoor), CEO, COO और रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क की डिस्ट्रीब्यूशन टीम के वरिष्ठ सदस्यों से पूछताछ की थी और उनसे यह बताने के लिए कहा था कि उन्होंने ‘हंसा रिपोर्ट’ कैसे एक्सेस की। पूछताछ कुल 200 घंटे तक चली और इसमें रिपब्लिक के असिस्टेंट वीपी घनश्याम सिंह (Ghanshyam Singh), रिपब्लिक के CEO विकास खानचंदानी (Vikas Khanchandani) और एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी हुई थी। सभी को विभिन्न अदालतों से जमानत मिल चुकी है।

फिलहाल एंटीलिया बम मामले (Antilia bomb case) और मनसुख हिरेन हत्याकांड (Mansukh Hiran murder) में NIA की चार्जशीट में खुद सचिन वाजे का नाम है। इसके अलावा, देशमुख की CBI और ED द्वारा जांच की जा रही है, जब परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि पिछले कुछ महीनों में देशमुख ने वाजे को उनके घर पर कई बार बुलाया था और “एक महीने में मुंबई में 1,750 बार, रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये जमा करने का लक्ष्य’ रखा था- हर जगह से 2-3 लाख रुपये”। दोनों परमबीर सिंह और अनिल देशमुख तब से एक-दूसरे के खिलाफ हो गए हैं और विभिन्न कानून प्रवर्तन और जांच एजेंसियों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग, जबरन वसूली और भ्रष्टाचार के मामलों में उनकी जांच हो रही है।