नई दिल्ली। देश की लगभग उत्पादक मंडियों के साथ साथ ख़पत बाज़ारों में देसी चने की आवक पूरी तरह समाप्त हो गई है जबकि वर्तमान में विदेशी माल का किसी भी देश से आयात पड़ता नहीं लग रहा है। बाज़ार के जानकार मानते है कि नई फसल के आने में अभी लंबा समय बाकी है, इसे देखते हुए वर्तमान भाव के देसी चने में अब कोई ज़ोखिम नज़र नहीं आ रहे है और क़ीमतें कभी भी आगे पीछे करते हुए 6000 रुपये के स्तर को छू सकती है।
देश के प्रमुख चना उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश के इंदौर, भोपाल, बीनागंज,सागर, जबलपुर आदि किसी भी मंडी में अब माल का दबाव नहीं है। जबकि दूसरे अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में भी आवक घटकर सीमित रह गयी है। जानकार बताते है कि वहां की लोकल दाल मिलें वर्तमान में नीचे भाव में माल पकड़ने लग गयी है, जिससे दिल्ली सहित उत्तर भारत की मंडियों के पड़ते समाप्त हो गए हैं। उत्पादन कमज़ोर रहने के बीच आगे दीपावली तक खपत की माँग को देखते हुए किसी भी मंडियों में माल जरूरत के अनुरूप नहीं है।
दूसरी ओर,वर्तमान में आस्ट्रेलिया सहित किसी भी दूसरे देश से आयात पड़ता नहीं है। सरकार द्वारा स्टॉक सीमा बढ़ा दिए जाने के बाद एक बार फिर 5600 लॉरेंस रोड पर खड़ी मोटर में राजस्थानी चना बन गया था, लेकिन वायदा बाजार में लगातार रह रहकर आयी गिरावट में हाज़िर बाज़र भी संभल ना सका, और वह भी धीरे धीरे टूटकर यह 5350 रुपए प्रति क्विंटल के कमज़ोर स्तर को छूकर आज फ़िर बापस 5550/5600 रुपए सुना जा रहा है ।
बाज़ार के जानकार विशेषज्ञ मानते है कि अभी चने की नई फसल आने में लंबा समय बाकी है, क्योंकि चने की नई बिजाई का कार्यक्रम अगले माह से मध्यप्रदेश व राजस्थान में प्रारंभ होने की तैयारी चल रही है जबकि मण्डियों में नया माल का श्रीगणेश मार्च-अप्रैल माह के दौरान ही देखने मिलेगा। इस स्थिति में अभी नया चना आने में लंबा समय शेष है जबकि पाइप लाइन में बराबर माल नहीं है।
गौरतलब रहे है कि इस बार देसी चने का उत्पादन कमज़ोर रहने के बावजूद बाजारों में रुपए की तंगी के चलते व कोरोना की दूसरी लहर के दबाव में इस बार स्टॉक भी अनुकूल नहीं है। हालाँकि, मध्यप्रदेश की राजस्थान से सटी सीमाओं के नज़दीक वाले शहरों में राजास्थान के मालों का स्टॉक जरूर ज़्यादा बताया जा रहा है, हालांकि उत्पादन आंकड़ों एव बेपड़ता आयात को देखते हुए यह सभी कारोबारी भी तेज़ी की राह देख रहे है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए राजस्थानी चने के इस स्तर से इसी लाइन पर जल्दी ही 5900/6000 रुपये प्रति कुंतल के स्तर को छू लेने की उम्मीद मज़बूत हो रही है।