नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए राष्ट्र को संबोधित करते हुए मेजर ध्यानचंद को याद किया। पीएम मोदी ने कहा कि मेजर ध्यानचंद का जीवन खेल को समर्पित था। देश को कितने ही पदक क्यों न मिल जाएं, लेकिन जब तक हाकी में पदक नहीं मिलता भारत का कोई भी नागरिक विजय का आनंद नहीं ले सकता है और इस बार ओलंपिक में चार दशक के बाद पदक मिला।
मुख्य बातें
हाल के दिनों में जो प्रयास हुए हैं, उनसे संस्कृत को लेकर एक नई जागरूकता आई है। अब समय है कि इस दिशा में हम अपने प्रयास और बढाएं। हमारी संस्कृत भाषा सरस भी है, सरल भी है। संस्कृत अपने विचारों, अपने साहित्य के माध्यम से ये ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है, उसे मजबूत करती है। संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा ही दिव्य दर्शन है जो किसी को भी आकर्षित कर सकता है।
हम अपने पर्व मनाएं, उसकी वैज्ञानिकता को समझे, उसके पीछे के अर्थ को समझे। इतना ही नहीं हर पर्व में कोई न कोई सन्देश है, कोई-न-कोई संस्कार है। हमें इसे जानना भी है, जीना भी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत के रूप में उसे आगे बढ़ाना भी है।
हर परिवार में अब खेलों के बारे में चर्चा होने लगी है। क्या हमें अब इसे रूकने देना चाहिए? अब खेल-कूद को रूकना नहीं है। इस गति को अब रोकना नहीं है। अब हमारे खेल के मैदान भरे हुए होने चाहिए ।
मेरे देश का युवा मन अब सर्वश्रेष्ठ की तरफ अपने आपको केंद्रित कर रहा है। सर्वोत्तम करना चाहता है, सर्वोत्तम तरीके से करना चाहता है। ये भी राष्ट्र की बहुत बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा। देश के युवाओं ने मन में ठान लिया कि कैसे दुनिया में भारत के खिलौनों की पहचान बनानी है। वे अब नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। आज युवा इसपर ध्यान केंद्रित कर रहा है ।
हमने अभी कुछ समय पहले ही अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को खोला था और देखते ही देखते युवा पीढ़ी ने उस मौके को पकड़ लिया और इसका लाभ उठाने के लिए कालेजों के छात्र, यूनिवर्सिटी और निजी क्षेत्र में काम करने वाले नौजवान बढ़-चढ़ करके आगे आए हैं और मुझे पक्का भरोसा है कि आने वाले दिनों में बहुत बड़ी संख्या ऐसे उपग्रह की होगी, जिसपर हमारे युवाओं ने काम किया होगा
आज का युवा बने बनाए रास्तों पर चलना नहीं चाहता है। वो नए रास्ते बनाना चाहता है। अनजानी जगह पर कदम रखना चाहता है। मंजिल भी नयी, लक्ष्य भी नए, राह भी नयी और चाह भी नयी। भारत का युवा एक बार मन में ठान लेता हैं, तो उसे पूरा करने के लिए जी-जान से जुट जाता है। दिन-रात मेहनत कर रहा है ।
साथियो, जब खेल-कूद की बात होती है न, तो स्वाभाविक है हमारे सामने पूरी युवा पीढ़ी नजर आती है और जब युवा पीढ़ी की तरफ गौर से देखते हैं कितना बड़ा बदलाव नजर आ रहा है। युवा का मन बदल चुका है।
मन की बात कार्यक्रम को आकाशवाणी, दूरदर्शन के पूरे नेटवर्क और मोबाइल एप पर भी प्रसारित किया जाएगा। इसके अलवा इसे आज प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के यूट्यूब चैनलों पर भी देख सकते हैं। प्रधानमंत्री हर महीने के अंतिम रविवार को मन की बात कार्यक्रम में ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार लोगों के साथ साझा करते हैं।
इससे पहले पीएम मोदी ने देशवासियों से अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के लिए सुझाव मांगे थे। बुधवार को अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस महीने के मन की बात कार्यक्रम में आप की किस तरह के विषयों में रुचि है। इन विषयों को आप माई गोव या नमो एप पर साझा कर सकते हैं। आप फोन नंबर 1800117800 पर अपना संदेश रिकार्ड करके भी भेज सकते हैं।
मन की बात कार्यक्रम के 79वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे बढ़ने के लिए ‘राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम’ का मंत्र देकर लोगों से एकजुट होकर देश के विकास में योगदान देने की अपील की थी।उन्होंने देश के विकास के लिए आजादी की लड़ाई के समय जैसी एकजुटता की जरूरत पर बल दिया। उनका संदेश साफ है कि विकास की गति को तेज करने के लिए हमें अपने छोटे-छोटे मतभेदों को छोड़ना होगा और साथ मिलकर काम करना होगा। देश में एकजुटता की भावना को बढ़ावा देने के प्रयासों को उन्होंने आंदोलन के रूप में चलाने की जरूरत बताई।