नई दिल्ली। सरकार ने माना है कि जुलाई में खाद्य तेलों (Edible Oils) की कीमतों में जबर्दस्त उछाला आया है। खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में जुलाई में एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 52 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। शुक्रवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री (Minister of State for Food and Consumer Affairs) अश्विनी कुमार चौबे (Ashwini Kumar Choubey) ने इस बारे में बताया।
चौबे ने कहा कि सरकार ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दलहन (Pulses) और खाद्य तेल (Edible Oil) जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं। मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, मूंगफली तेल की औसत मासिक खुदरा कीमत में जुलाई के दौरान, पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 19.24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
जुलाई में सरसों के तेल में 39.03 प्रतिशत, वनस्पति में 46.01 प्रतिशत, सोया तेल में 48.07 प्रतिशत, सूरजमुखी के तेल में 51.62 प्रतिशत और पाम तेल की कीमतों में 44.42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ताजा आंकड़े 27 जुलाई 2021 तक के हैं।
चौबे ने कहा, ‘‘खाद्य तेलों की कीमतों को कम करने के लिए, कच्चे पाम तेल (सीपीओ) पर शुल्क में 30 जून 2021 से 30 सितंबर 2021 तक 5 प्रतिशत की कटौती की गई है। इस कमी ने सीपीओ पर प्रभावी कर की दर को पहले के 35.75 प्रतिशत से घटाकर 30.25 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा, रिफाइंड पाम तेल / पामोलिन पर शुल्क 45 प्रतिशत से घटाकर 37.5 प्रतिशत कर दिया गया है।’’
उन्होंने कहा कि रिफाइंड ब्लीच्ड डियोडोराइज्ड (आरबीडी) पाम तेल और आरबीडी पामोलिन के लिए एक संशोधित आयात नीति 30 जून, 2021 से लागू की गई है, जिसके तहत इन वस्तुओं को प्रतिबंधित से मुक्त श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया गया है। भारत अपनी कुल खाद्य तेलों की आवश्यकता का लगभग 60-70 प्रतिशत आयात करता है।