नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआइ ने राज्य के आठ शहरों में 12 स्थानों पर छापे मारे। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि इन स्थानों में एसीपी संजय पाटिल और डीसीपी राजू भुजबल के परिसर भी शामिल हैं। छापों की यह कार्रवाई मुंबई, पुणे, अहमदनगर, नासिक, ठाणे, सोलापुर, सांगली और उस्मानाबाद में की गई।
पुणे व मुंबई में ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ पाटिल के परिसरों और अहमदनगर व मुंबई में भुजबल से जुड़े परिसरों पर भी अभियान के दौरान छापेमारी की गई। यह अभियान मंगलवार रात समाप्त हुआ। अन्य परिसर कथित बिचौलियों के हैं जिनके नाम जांच एजेंसी ने उजागर नहीं किए हैं।
सीबीआइ ने देशमुख एवं अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून और आपराधिक साजिश से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में आरोप लगाया था कि देशमुख ने सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे को शहर के बार एवं रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था।
सीबीआइ की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है, ‘प्रारंभिक जांच में प्रथमदृष्टया सामने आया कि मामले में संज्ञेय अपराध हुआ है जहां महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख और अन्य अज्ञात व्यक्तियों ने अपनी सार्वजनिक जिम्मेदारियों के अनुचित और बेईमान प्रदर्शन से अनुचित लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया।’ अधिकारियों ने बताया कि सीबीआइ नियमावली के अनुसार यह आकलन करने के लिए प्रारंभिक जांच शुरू की गई है कि क्या आरोपों की पूर्ण जांच के लिए नियमित मामले में आगे बढ़ने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख व महाराष्ट्र सरकार को मुंबई उच्च न्यायालय में मुंह की खानी पड़ी है। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार व देशमुख की ओर से दायर याचिकाएं खारिज कर दी हैं। देशमुख ने अपने विरुद्ध सीबीआइ द्वारा दायर एफआइआर रद करने व महाराष्ट्र सरकार ने एफआइआर में से दो पैरा हटाने के लिए याचिका दायर की थी।
राज्य सरकार इस फैसले पर कुछ दिन के लिए रोक भी लगवाना चाहती थी।महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर पुलिस अधिकारियों के जरिए हर महीने 100 करोड़ रुपयों की वसूली करवाने का आरोप लगने के बाद मुंबई उच्च न्यायालय की ही एक पीठ ने पांच अप्रैल को सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे।