कोटा। शहर में कोरोना के प्रोटोकॉल के साथ अब लगभग सब कुछ खुल गया है। सामाजिक सरोकार इस दिशा में पुनः प्रारम्भ हो चुके हैं। कोरोना के कारण रुके नेत्रदान के कार्य भी अब प्रारम्भ हो चुके हैं। आमजन के मन मे सामाजिक कुरीतियों व व्याप्त भ्रांतियों को दरकिनार कर नेत्रदान के प्रति भरोसा बढ़ रहा है। शनिवार को लायंस क्लब कोटा टेक्नो आई बैंक व शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से एक नेत्रदान हुआ।
लायंस क्लब कोटा टेक्नो के डायरेक्टर व टीम जीवनदाता के संयोजक भुवनेश गुप्ता के अनुसार शनिवार को पोरवाल समाज कोटा के पूर्व अध्यक्ष श्रीनाथ गुप्ता का फ़ोन आया जिसमें उन्होंने अपने भाई रंगबाड़ी निवासी हेमेंद्र गुप्ता (55) के निधन की सूचना दी। भुवनेश गुप्ता ने उनसे नेत्रदान करवाने की समझाईश की। इस पर उन्होंने कोटा पहुंच कर परिवार के अन्य सभी सदस्यों से विचार विमर्श करने के उपरांत ही निर्णय लेने की बात कही। हेमेंद्र गुप्ता की शनिवार को जयपुर में उपचार के दौरान मृत्यु हो गयी थी और उन्हें देर रात एम्बुलेंस से कोटा लाया गया। (हेमेंद्र गुप्ता के नेत्रदान का वीडियो)
सात भाइयों में से एक हेमेंद्र अपने पीछे एक 11 वर्षीय पुत्र व 5 वर्षीय पुत्री छोड़कर गए हैं । जयपुर से कोटा तक के एम्बुलेंस के सफर में गुप्ता ने उनके परिजनो से संपर्क बनाए रखा। देर रात कोटा पहुंचते ही श्रीनाथ ने नेत्रदान करने की स्वीकृति से अवगत करवाया। इसी दौरान गुप्ता ने शाइन इण्डिया फाउंडेशन के सदस्यों से तुरंत संपर्क किया तो आई बैंक सोसाइटी के तकनीशियन टिंकु ओझा उनके घर पहुंच गए। नेत्रदान प्रक्रिया के दौरान ही देर रात अचानक लाइट गई । बिना विचलित हुए गुप्ता व टीम सदस्य ने मोबाइल की टॉर्च से नेत्रदान की प्रक्रिया सम्पन्न की व नेत्र संकलित किये। करीब एक घंटे बाद आई लाइट के पहले ही टीम ने नेत्र रवाना कर दिए थे।
मरणोपरांत भी नेत्रदान कर गए
नेत्रदानी हेमेंद्र के भाई धीरेन्द्र पोरवाल बताते है कि हेमेंद्र का पत्थर व खान-खदान का कार्य था। शुरू से ही पूजा-पाठ करना व सामाजिक प्रवृति के इंसान थे। हमेशा परपीड़ा को समझ अनजान लोगों की मदद करना व असहाय निर्धन की सेवा करना उनके स्वभाव में था। उन्होंने कहा कि भाई की असमय मौत से परिवार का हौसला टूट गया। किन्तु उनके स्वभाव के अनुरूप जाते जाते नेत्रदान कर दूसरे के जीवन को रोशन कर गए ।