कोटा। अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता संरक्षण दिवस पर आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी में पर्यावरणप्रेमियों ने कोरोना महामारी के समय सरकार एवं समाज से अपील की है कि प्रकृति से अनावश्यक छेड़छाड़ को तत्काल बंद कर इसके संरक्षण की नई नीति घोषित की करें।
नई संरक्षण नीति में जनसंख्या नियंत्रण और उसे लागू करने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास हो, जैसा कि कोराना मरीज का बुखार उतारने के लिए कृत्रिम ऑक्सीजन की व्यवस्थायें की जा रही है। ठीक इसी प्रकार धरती का बुखार उतारने के लिए प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के प्रयास होने चाहिए। इसके अभाव में महामारी का सामना नहीं किया जा सकता। जनता को भी सुंदरलाल बहुगुणा की तरह चिपको आंदोलन चलाना होगा।
संगोष्ठी के संयोजक जल बिरादरी के प्रदेश अध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि पृथ्वी सिंह राजावत ने जैव विविधता दिवस की थीम को स्पष्ट किया तथा पौधों और जानवर प्रजातियों की 25 प्रतिशत विलुप्त अवस्था में है। ग्लोबल वार्मिंग का असर हमें दिखाई दे रहा है।
रामकृष्ण शिक्षण संस्था के सचिव पूर्व पार्षद युधिष्ठिर चानसी ने कहा कि जब तक हम जल, जंगल व जमीन को नुकसान पहुंचाते रहेंगे, महामारी जैसी आपदायें नहीं रूक सकेंगी। बीमारी मुक्त शुद्धखान पान के लिए जैविक खेती को प्रोत्साहन देना होगा। गायत्री परिवार के चम्बल संसद के सभापति जीडी पटेल ने कहा कि सरकार के भरोसे न रह कर हर व्यक्ति प्रकृति के रक्षक के रूप में सामने आना चाहिए। पौधारोपण यज्ञ के द्वारा वातावरण में जहरीली गैसों का असर कम करने में योगदान दें।
गायत्री परिवार बोरखेड़ा आश्रम के संचालक यज्ञदत्त हाड़ा ने वातावरण में नमी की कमी को दूर करने के लिए विकास का माॅडल परिवर्तित करने पर जोर दिया। जहां नमी की कमी हुई वहीं कोरोना का असर ज्यादा हो रहा है। जल बिरादरी के अध्यक्ष चंद्रकांत सिंह परमार ने सनातन जीवन प़द्धति पर जोर देते हुए बताया कि इसमें स्वतः ही जलवायु, पर्यावरण का संरक्षण हो जाता है।
शिक्षाविद् डाॅ गोपाल धाकड़ ने कहा कि वायुमण्डल में ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखना है तो पेड़ों,पौधों की संख्या को जंगल की तर्ज पर बढ़ाना होगा। कृत्रिम ऑक्सीजन पर लोगों को निर्भरता नहीं आने देनी है। इसके कारण तो मौतजल्दी आएगी। जल बिरादरी के विनोद चतुर्वेदी ने कहा कि जनता को जागरूक करने के लिए सरकार को अपना आचरण सुधारना होगा। सरकारें पेड़ों का और वन्यजीवों का नाश करेंगी तो जनता में क्या संदेश जाएगा।
वन विभाग के मनोज कुमार ने कहा कि नई पीढ़ी में वन एवं वन्यजीवों के प्रति जागरूकता व संरक्षण प्रदान करना हर व्यक्ति का कर्त्तव्य हो तभी जैव विविधता को बचा सकते हैं । अर्चना राजावत ने पेड़ पौधों को लगाने के साथ ही बचाने पर भी जोर दिया। इसके लिए शासन व्यवस्था को भी गंभीर होना चाहिए।
मुकेश सुमन ने महामारी के काल में तो सरकार को अपने विकास की योजनाओ की समीक्षा करनी चाहिए कि क्या वास्तव में किस प्रकार के विकास की आवश्यकता है। संजय पारीक, नेमीचंद शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए। केईएसएस सचिव डाॅ.विनीत महोबिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया।