नयी दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2016 में नोटबंदी के दौरान कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन के एक मामले की जांच के तहत हैदराबाद में गहनों की बिक्री करने वाली विभिन्न कंपनियों और उनके प्रवर्तकों की 130 करोड़ रुपए से अधिक की सम्पत्ति कुर्क की है। ईडी ने मंगलवार को बताया कि मुसद्दीलाल जेम्स एंड ज्वैल्स प्राइवेट लिमिटेड, वैष्णवी बुलियन प्राइवेट लिमिटेड और मुसद्दीलाल ज्वेलर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कार्रवाई की गई है। ईडी ने बताया कि जो सम्पत्तियां कुर्क की गई हैं, उनमें 41 अचल सम्पत्तियां, शेयरों एवं गहनों में किया गया निवेश, सोने-चांदी में 83.30 करोड़ रुपए का निवेश शामिल है।
ये सम्पत्तियां कुछ साल पहले की गई छापेमारी के दौरान जब्त की गई थीं। इन सम्पत्तियों की कुल कीमत 130.57 करोड़ रुपए है। सरकार ने नंवबर 2016 में नोटबंदी की थी, जिसके बाद इन कंपनियों के खिलाफ तेलंगाना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी। ईडी का मामला इसी प्राथमिकी पर आधारित है। यह कुर्की धनशोधन रोकथाम कानून (पीएलएलए) के तहत की गई। ईडी ने एक बयान में बताया कि जांच में पाया गया कि गहनों और सोना-चांदी का व्यापार करने वाली तीन कंपनियों ने आठ नवंबर, 2016 में नोटबंदी की घोषणा के तत्काल बाद चलन से बाहर हो चुके 111 करोड़ रुपए के नोट अपने बैंक खातों में जमा किए थे।
ईडी ने कहा, ‘‘उन्होंने फर्जी नकद रसीद और बिक्री के बिल बनाए, जिनमें गलत तरीके से दिखाया गया कि नोटबंदी की घोषणा के तत्काल बाद आठ नवंबर, 2016 को रात आठ बजे से आधी रात तक गहने खरीदने करीब 6,000 लोग उनके शोरूम में आए।’’ उसने कहा, ‘‘कैलाश चंद गुप्ता और उनके बेटों (मुसद्दीलाल जेम्स) की कंपनियों ने अपने चार्टर्ड अकाउंटेड (सीए) संजय शारदा के साथ मिलकर बिल बनाए, ताकि आय के फर्जी स्रोत और बड़ी नकद राशि जमा किए जाने को सही ठहराया जा सके।’’
एजेंसी ने कहा, ‘‘शारदा ने उन्हें दो लाख रुपए से नीचे के बिल बनाने को कहा, ताकि ग्राहकों के केवाईसी या पैन संबंधी जानकारी की आवश्यकता नहीं पड़े।’’ ईडी ने कहा कि उनके बैंक खातों में यह नकद राशि जमा कराए जाने के तत्काल बाद इनका एक बड़ा हिस्सा सोना-चांदी (बुलियन) खरीदने के लिए इसके डीलर को भेज दिया । उसने कहा कि इस तरह जो नोट चलन से बाहर हो गए थे, उन्हें सफलतापूर्वक वित्तीय प्रणाली में शामिल करा लिया गया। एजेंसी ने इस मामले में दो आरोप पत्र दायर किए थे।