राजस्थान में मूंग उत्पादन में 50 फीसदी की कमी की संभावना, मंदी के आसार नहीं

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मुकेश भाटिया, कमोडिटी एक्सपर्ट
कोटा।
इस बार राजस्थान में मूंग की बिजाई 35 फीसदी अधिक हुई थी, लेकिन सितंबर के पहले पखवाड़े में लगातार मौसम खराब रहने एवं फसल तैयार होने पर बारिश होने से दाने छोटे और दागी हो गये है, जिसके चलते उत्पादकता 50 फीसदी की कमी की संभावना प्रबल हो गई है। जिसे बंद बाजार में 600/700 रूपए प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है, लेकिन उत्पादन आशानुरूप नही रहने से बाज़ार के अभी रह -रहकर तेज़ी बनी रहने की उम्मीद है।

विशेषज्ञों के अनुसार गर्मी वाली मूंग का सीजन समाप्त हो चुका है तथा दाल मिलर्स एवं व्यापारी वर्ग राजस्थान की फसल कारोबारियों का ध्यान टिका हुआ था। हालांकि, महाराष्ट्र के अकोला, जलगांव, जालना एवं परभणी के साथ-साथ राजस्थान के जयपुर, फागी, दौसा, नागौर, मेड़ता, केकड़ी, शेखावटी एवं जोधपुर सभी उत्पादक क्षेत्रों में बिजाई अधिक की गयी थी, लेकिन इस बार सितंबर के पहले पखवाड़े में राजस्थान व महाराष्ट्र के मूंग उत्पादक क्षेत्रों लगातार बारिश होने से फसल का उतारा अब केवल 55/60 फीसदी तक उतरने की आशंका व्यक्त की जा रही है, जिससे अब मंडियों में आवक घटने लगी है।

यही कारण है कि बाजार में लोकल व दिसावरी मिलों की जबरदस्त लिवाली चलने से पहले ही 700 रूपए प्रति क्विंटल की बड़ी तेजी दर्ज की गयी हैं। जो मूँग शुरुआत में 6500/7000 रूपए प्रति क्विंटल के बीच बिक रही थी, उसकी कीमतें 7250/7600 रूपए प्रति क्विंटल तक पहुँच गये है जबकि बढ़िया सिलेक्टेड मूंग 8200/8500 रूपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गई।

उत्पादक क्षेत्रों में बिजाई के बाद तैयार फसल खेतों में बहुत बढ़िया दिखाई दे रही थी, लेकिन क्रोशिंग के बाद दाने छोटे एवं दागी दिखाई देने लगे है, जिसके चलते चौतरफा कच्ची मंडियों में ही व्यापारी माल को रोकने लगे है। उधर राजस्थान-महाराष्ट्र की दाल मिलें सूखे माल की खरीद करने लगी है, जिससे दिल्ली सहित उत्तर भारत की मंडियों में माल की आपूर्ति कमजोर ही चल रही है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए जानकारी मिल रही हैं कि वर्तमान में दाल मिलों में भी ज्यादा माल स्टॉक में नही है।

दूसरी ओर, बिहार व उत्तर प्रदेश के कारोबारी पहले ही राजस्थान की फसल को बढ़िया देखकर पहले ही काट चुके थे। मध्य प्रदेश की मंडियां हड़ताल के चलते 2 सप्ताह बंद रहने के बाद खुली है। और यही वज़ह है कि लोकल मिलें कच्चे माल खरीद बड़े पैमाने पर करने लगी है, जिससे बढ़िया माल कम मिल रहा है। कच्चे माल की कमी से दाल मिलें 500/700 रूपए बढ़ाकर क्वालिटीनुसार मूंग दाल छिलका एवं धोया की क़ीमतें बोलने लगी है, तथा अभी चौतरफा मंडियो में हो रही कमज़ोर आपूर्ति को देखते हुए स्टॉकिस्ट एवं दाल मिल वाले तेजी के मन बना चुके है।

जानकारों के अनुसार कैकेडी, नागौर, सुमेरपुर,मेड़ता एवं डीडवाना लाइन में माल कम आ रहे है जबकि राजस्थान व महाराष्ट्र की दाल मिलें भी माल पकड़ने में सक्रिय हो गयी है जबकि मंडियों में माल का प्रैशर नही बन पा रहा है। जिससे औसतन माल की उपलब्धता कम दिखाई दे रही है तथा बढ़िया माल का ज्यादा मंडियों में बड़ी कमी बनी हुई है। वर्तमान में औसत माल 6400/7500 रूपए प्रति क्विंटल के बीच बिक रहा है, जबकि बढ़िया माल अभी भी 8200 रूपए से कम में बेचू नही आ रहे है। लोगों का रूझान राजस्थान के शेखावटी, मेड़ता एवं किशनगढ़ लाइन के माल की ओर लगा हुआ है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान कीमतों की मूँग में फ़िलहाल बड़ी मंदी नही लग रही है।