नई दिल्ली। केंद्र सरकार छात्रों को आठवीं कक्षा तक फेल न करने की नीति को खत्म करने की तैयारी में है। कैबिनेट ने इससे जुड़े प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। इसके अलावा देश भर में 20 विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय खोलने वाले प्रस्ताव को भी हरी झंडी दे दी गई है।
20 विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय खोलने एवं छात्रों को आठवीं कक्षा तक फेल न करने की नीति को कैबिनेट की मंजूरी
सरकार नो डिटेंशन नीति को खत्म करने के लिए ‘बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा संशोधन विधेयक’ लाएगी। इसमें पांचवीं और आठवीं कक्षा में फेल होने का प्रावधान फिर से जोड़ा जाएगा।
हालांकि, असफल छात्रों को दूसरा मौका दिया जाएगा। उसमें भी फेल होने पर छात्रों को पांचवीं या आठवीं कक्षा में ही फिर से पढ़ाई करनी होगी।
इसे जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा। 1 अप्रैल, 2010 को अमल में आए शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल-पास के झंझट से मुक्ति दे दी गई थी। यह आरटीई का महत्वपूर्ण प्रावधान था।मंत्रिमंडल ने देश भर में 20 विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान खोलने वाले प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।
सार्वजनिक क्षेत्र के हर संस्थान के लिए 500-500 करोड़ रुपये आवंटित करने की उम्मीद है। वित्त विभाग की व्यय समिति ने पांच हजार करोड़ रुपये आवंटित करने पर कदम उठाना शुरू भी कर दिया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने फरवरी में दस सार्वजनिक और इतने ही निजी क्षेत्र में विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव पास किया था। आम बजट में इसका उल्लेख भी किया गया था।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसके लिए अलग से नियम-कायदे भी तैयार किए हैं। सभी 20 विवि को विदेशी छात्रों से फीस लेने, दाखिला देने और शिक्षकों को वेतन देने में पूरी स्वतंत्रता दी जाएगी। फिलहाल विश्वविद्यालय को यह छूट प्राप्त नहीं है।