ऑनलाइन पढ़ाई खतरे से खाली नहीं, एजुकेशनल पोर्टल पर हैंकिंग के मामले बढ़े

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नई दिल्ली। कोरोना महामारी से बचने के लिए लागू लॉकडाउन में अधिकतर काम के लिए हम ऑनलाइन बेवसाइट्स पर निर्भर हो गए हैं। इन दिनों ऑनलाइन पढ़ाई पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। कई एजुकेशनल पोर्टल खुल गए हैं। लाखों लोग ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं। ऐसे में साइबर अटैक के मामले भी बढ़े हैं।

शनिवार को एक रिपोर्ट पेश किया गया है कि इसके मुताबिक, साल 2020 के पहले तीन माह के दौरान एजुकेशन पोर्टल पर हैकिंग के मामलों में तीन गुना वृद्धि देखी गई है। यह साइबर अटैक डिस्ट्रीब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस (डीडाॅस, DDoS) डीडाॅस के जरिए किया गया है।

मौजूदा स्थिति का फायदा उठा रहा है DDoS
साइबर सिक्योरिटी कैस्पर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस समय जब लोग अपने घरों में बंद हैं और डिजिटल संसाधनों पर निर्भर हैं। ऐसे समय में डीडाॅस मौजूदा स्थिति का फायदा उठा रहा है। जनवरी माह से कोरोनावायरस महामारी शुरू हुई है। इस दौरान ऑनलाइन संसाधनों में बढ़ी मांग के चलते साइबर अटैक के मामले में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, हैकर्स का फोकस सबसे महत्वपूर्ण डिजिटल सेवाओं पर रहता है जिसका लाॅकडाउन में लोग ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।

क्या होता है DDoS?
इस तरह के साइबर हमले हैकर्स साइट पर एक साथ लाखों-करोड़ों संदेशों की बौछार कर देते है, ताकि वह ठप पड़ जाए। इस तरह के हमले में अगर एक नेटवर्क पर संदेशों का जाम लग जाता है इससे दूसरा नेटवर्क भी ओवरलोड का शिकार हो जाता है और लोगों को साइट खोलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

इंटरनेट ट्रैफिक जाम होने की वजह से साइट खुलने में देरी, इंटरनेट का धीमा चलना और बार-बार हैक होने से लोग परेशान है। बता दें कि साल 2016 में मुंबई में इस तरह का बड़ा हमला किया गया था। इस संबंध में आईटी कंपनी जॉइस्टर ने मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थीं।

ज्ञातव्य है की राज्य सरकारें हो या केंद्र सरकार या फिर देश भर के तमाम कोचिंग संस्थान लॉक डाउन के बाद से ऑनलाइन शिक्षा या कोचिंग दे रहे हैं। छात्र भी ऑनलाइन ही पढ़ने को मजबूर हैं।