नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र की ओर से वाहनों में ESC (इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल) और AEB (ऑटोनोमस इमरजेंसी ब्रेक सिस्टम) लागू करने के लिए भारत जैसे देशों पर दबाव बनाया जा रहा है। विश्व के ज्यादातर विकसित देश अपने यहां लागू कर चुके हैं। लेकिन भारत समेत चीन, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, मैक्सिको और साउथ अफ्रीका जैसे देशों में इसे लागू नहीं किया गया है।
दुर्घटनाओं में आएगी कमी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक ईएससी और एईबी को लागू करने से सड़क दुर्घटना और उसमें होने वाली मौतों में कमी आएगी। भारत समेत 6 देश अगर इसे अपने यहां लागू करते हैं, तो इससे सालाना करीब 1.50 लाख सड़क मौतों पर रोक लग सकेगी। साथ ही 1,52,417 करोड़ रुपए की बचत हो सकेगी। बता दें कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है। ऐसे में भारत जैसे देश में ईएससी लागू होने से सड़क दुर्घटनाओं में करीब 38 फीसदी की कमी आएगी।
10 हजार रुपए तक महंगे हो जाएंगे वाहन
भारत साल 2022-23 तक देशभर में इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल (ईएससी) और ऑटोनोमस इमरजेंसी ब्रेक सिस्टम लागू कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक एबीएस वाले वाहनों में ईएसी को इंस्टॉल करने का खर्च करीब 3,543 रुपए आएगा। वहीं ऑटोनोमस इमरजेंसी ब्रेक सिस्टम लगाने का खर्च 1,417 से 2000 रुपए हो सकता है। मतलब वाहन में दोनों फीचर्स लगाने पर वाहन की कीमत 10 हजार रुपए तक बढ़ सकती है।
क्या है ईएससी
इलेक्ट्रानिक स्टेबिलिटी कंट्रोल तकनीक वाहन को फिसलने से बचाती है और जब ड्राइवर स्टीयरिंग व्हील पर कंट्रोल खो देता है, तो ईएससी तकनीक स्टीयरिंग व्हील एंगल और वाहन के स्पीड के हिसाब वाहन की स्पीड को नियंत्रित करता है। वहीं दुर्घटना की स्थिति में ईएससी ऑटोमेटिकली ब्रेक अप्लाई कर देता है और इंजन के पावर को मैनेज करता है। भारत सरकार ने नए वाहनों के लिए ड्राइवर साइड एयरबैग, एबीएस, सीट बेल्ट रिमाइंडर, स्पीड वार्निंग सिस्टम और रिवर्स पार्किंग सेंसर को जैसे फीचर्स को अनिवार्य कर दिया है।