केरेटोकोनस: आँख के कॉर्निया की बीमारी, जानिए क्या है लक्षण

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1947

डाॅ सुरेश कुमार पांडेय
वरिष्ठ नेत्र सर्जन, कोटा
केरेटोकोनस
आँख का बढ़ता जाने वाला रोग है जिसमें कॉर्निया पतला हो जाता है और कोन के आकार में उभरने लगता है, जिसके कारण दृष्टि धुंधली और विकृत हो जाती है। केरेटोकोनस का शब्दशः अर्थ होता है कोन के आकार का कॉर्निया।

केरेटोकोनस के लक्षण क्या हैं?
इसमें बढ़ते हुए निकट दृष्टिदोष के साथ दृष्टि का धुंधला या विकृत होना, चमकीले प्रकाश और उजाले के प्रति संवेदनशीलता, रात्रि में दृष्टि सम्बन्धी समस्या, आपके कॉर्निया के पिछले हिस्से के फूट जाने और उसमें तरल एकत्रित हो जाने के कारण उत्पन्न हुई स्थिति (हायड्रोप्स) के फलस्वरूप दृष्टि का एकाएक बदतर या धुंधला होना आदि होते हैं।

केरेटोकोनस किसे होता है?
केरेटोकोनस का आरंभ अक्सर यौवनारंभ, व्यक्ति की किशोरावस्था या उम्र के दूसरे दशक की शुरुआत, के दौरान होता है।

केरेटोकोनस कैसे होता है?
कॉर्निया आपकी आँख का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। प्रकाश आँख के भीतर कॉर्निया के माध्यम से प्रविष्ट होता है, जो इस प्रकाश को अपवर्तित, या केन्द्रित कर देता है ताकि आप स्पष्ट रूप से देख सकें। केरेटोकोनस के दौरान, कॉर्निया का आकार परिवर्तित हो जाता है, जो आपकी दृष्टि को विकृत कर देता है।

नेत्र चिकित्सक से कब संपर्क करना चाहिए?
व्यक्ति को नेत्र चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये यदि दृष्टि में एकाएक परिवर्तन हो या दोहरा या विकृत दिखाई पड़ता हो या चमक के प्रति संवेदनशीलता हो या दृष्टि सम्बन्धी समस्याएँ हों। यदि दूर और निकट स्थित वस्तुएँ अस्पष्ट दिखाई पड़ती हैं और चमकीले प्रकाश के चारों तरफ आभामंडल सा दिखाई देता है तो व्यक्ति को तुरंत चिकित्सीय सलाह की आवश्यकता होती है।