‘किसानों को लागत मूल्य लेना है तो दबानी पड़ेगी सरकार की नाक’

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File photo

कोटा। किसानों को लागत मूल्य लेना है तो  सरकार की नाक दबानी पड़ेगी। मध्यप्रदेश में किसानों ने वहां की सरकार की नाक दबाई तब सरकार का किसानों के लिए मुंह खुला। यह बात  पिछले दो दिन से दशहरा मैदान में संभागीय आयुक्त कार्यालय के सामने चल रहे महापड़ाव के दौरान किसान नेताओं ने कही ।

भारतीय किसान संघ का अनिश्चितकालीन महापड़ाव चल रहा है। शुक्रवार को झालावाड़ से आए किसान इसमें शामिल हुए। प्रांतीय प्रचार प्रमुख सत्यनारायण सिंह ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आमदनी वर्ष 2022 तक दुगनी करनी की बात कह रहे हैं। उससे यह तय है कि किसान की आमदनी दोगुनी नहीं उसके ऊपर कर्जा चार गुना होगा और किसान आत्महत्या करेगा।

इसी बात को सरकार को समझाने के लिए भारतीय किसान संघ संघर्षरत है। प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य हरिसिंह खेरखेड़ा ने कहा कि किसानों ने हाड़ौती में लहसुन बोया। उसकी लागत 30 से 35 हजार रुपए प्रति बीघा आई। जबकि उसके द्वारा पैदा किया लहसुन मंडियों में औने -पौने दामों में बिक रहा है।

किसानों ने सरकार से लाभकारी मूल्य मांगा, तो ऊंट के मुंह में जीरा रखने के समान 3200 के भाव से सरकार 10 हजार मीट्रिक टन लहसुन खरीदने की योजना लाई। जिसने किसानों के जख्म हरे किए है। 3700 रू. का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार ने घोषित कर रखा है। लेकिन उसके नीचे के भाव से किसानों की सरसों मंडियों में व्यापारी खरीद रहे हैं।

प्रांत सहकारिता प्रमुख जगदीश कलमंडा ने कहा कि सरकार किसानों का गला दबाने की नीतियों के साथ कृषक विरोधी बनी हुई है। क्रॉप लोन 1600 करोड़ से घटाकर 1400 करोड़ कर दिया। किसान अपनी समस्या सरकार को बताता है तो उन्हें मीठी गोली दी जा रही है जो अब जहर बन रही है। महापड़ाव में दूसरे दिन प्रदेश सह महामंत्री जगदीश शर्मा, प्रांत मंत्री शंकरलाल नागर उपस्थित रहे। शाम चार बजे संघ के प्रतिनिधि मंडल ने संभागीय आयुक्त को सरकार के नाम ज्ञापन दिया।

शनिवार को महापड़ाव में बूंदी जिला से किसान महापड़ाव में पहुंचेंगे। हाड़ौती किसान आंदोलन को लेकर शनिवार को सुबह 11 बजे गवर्नमेंट कॉलेज में छात्र संगठन की मीटिंग होगी। संयोजक कुंदन चीता ने बताया कि शनिवार को बूंदी जिले के केशवरायपाटन कस्बे में हाड़ौती किसान यनियन के तत्वावधान में किसान सत्याग्रह के तहत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए किसान मात्रा रोड पर एकत्रित होंगे। वहीं, किसान कांग्रेस ने संभागीय आयुक्त को ज्ञापन दिया।

बाजार हस्तक्षेप योजना फेल

बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत हाड़ौती में शुरू हुई लहसुन की सरकारी व्यवस्था शुक्रवार को पूरी तरह से फेल रही। खानपुर में एक दिन पहले टोकन बांटकर किसानों को लहसुन लेकर बुलाने वाले अधिकारी गायब हो गए। केशवरायपाटन में एक किसान का लहसुन खरीदकर क्वालिटी निरीक्षक मौके से नदारद हो गए। छीपाबड़ौद की गल्ला मंडी में सिर्फ लहसुन के 12 कट्टे खरीदे गए।

संभाग मुख्यालय पर भामाशाहमंडी में एक ही किसान के 103 कट्टे लहसुन के खरीदे गए। वहीं इस दिन कोटा में 46, केशवरायपाटन में 36 छीपाबड़ौद में 5 क्विंटल लहसुन की खरीद हुई। संभाग के चारों केंद्रों को मिलाकर 87 क्विंटल लहसुन खरीदा गया। खानपुर में कृषि पर्यवेक्षक ने किसानों को टोकन बांटे थे। शुक्रवार को जब किसान अपना लहसुन बेचने के लिए आए तो पता चला मंडी में खरीद ही नहीं हो रही।

पूछने पर बताया गया कि जयपुर में राजफेड की मीटिंग है अधिकारी वहां गए हुए है। इससे किसान आक्रोशित हो गए। एसडीएम ने शुक्रवार को व्यवस्था सुधारने का आश्वासन दिया था। लेकिन व्यवस्थाएं सुधरने के बजाय और ज्यादा बिगड़ी है। इस दिन एसडीएम ने अपना मोबाइल बंद रखा। केशवरायपाटन कृषि उपज मंडी में दोपहर के समय लहसुन की खरीद शुरू हुई।

लेकिन माधोराजपुरा के किसान का 36 क्विंटल लहसुन तुलने के बाद किसानों के चेहरों पर मायूसी छा गई। छीपाबड़ौद में भी लहसुन खरीद की व्यवस्थाएं ठीक नहीं रही। एक किसान के 12 कट्टे खरीदे गए। बाकी के 58 कट्टों में भरा लहसुन पोचा सड़ा हुआ बताकर उसे नापास कर दिया गया। गुरुवार को कांटा लगा लेकिन खरीद नहीं हुई। ऐसे में तीन दिन में छीपाबड़ौद में 5 क्विंटल 40 किलो लहसुन खरीदा गया।