ग्राहकों से सेवा शुल्क वसूली पर आरबीआई सख्त

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  • ग्राहकों को भगाने के लिए सेवा शुल्क का सहारा ले रहे हैं बैंक
  • पर्यवेक्षी समीक्षा में होगा शिकायतों पर गौर
  • बैंक खाता संख्या पोर्टेबिलिटी शुरू करने की वकालत
  • ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए धोखाधड़ी, साइबर हमलों के मामले में जल्द दिशानिर्देश

मुंबई। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मूंदड़ा ने आज कहा कि कुछ बैंक खातों में न्यूनतम औसत राशि रखने और अन्य सुविधाएं देने में शुल्क के बहाने ग्राहकों को उनकी कुछ सेवाएं लेने से रोक रहे हैं। उन्होंने साथ ही आधार और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के विभिन्न प्लेटफॉर्म के जरिये बैंक खाता संख्या पोर्टेबिलिटी शुरू करने की वकालत की।

डिप्टी गवर्नर ने एक कार्यक्रम में कहा कि बैंकों को न्यूनतम औसत शेष या प्रमुख सेवाओं के लिए शुल्क तय करने की आजादी है, लेकिन आम आदमी को बैंकिंग सुविधाओं से वंचित करने के लिए इनको बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कुछ संस्थानों में ऐसा देखने को मिला है। ज्यादातर बैंकों ने खाते में न्यूनतम तय राशि नहीं रखने पर शुल्क लेना शुरू किया है। साथ ही वे बैंकिंग संबंधित सुविधाओं के लिए शुल्क ले रहे हैं। 

मूंदड़ा ने कहा कि बैंकों द्वारा चुनिंदा सेवाओं के लिए शुल्क लेने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन नियमों को इस तरीके से डिजाइन न किया जाए कि ग्राहक सुविधाओं से वंचित हो जाएं। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की चिंता सभी लोगों को बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने तक सीमित है। केंद्रीय बैंक यह नहीं देख रहा कि ग्राहकों को ये सुविधाएं देने के लिए बैंक कितना शुल्क लगा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 2016-17 की पर्यवेक्षी समीक्षा में बैंकों द्वारा ग्राहकों से ज्यादा सेवा कर वसूलने और गलत ढंग से वित्तीय उत्पादों जैसे म्युचुअल फंड, बीमा पॉलिसी और रिटेल बॉन्ड बेचने की शिकायतों पर गौर किया जाएगा। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि पिछले दो साल में आधार नामांकन हुआ है, एनपीसीआई ने प्लेटफॉर्म बनाया है। बैंकिंग लेनदेन के लिए कई ऐप शुरू किए गए हैं।

ऐसे में खाता संख्या पोर्टेबिलिटी की भी संभावना बनती है। खाता संख्या पोर्टेबिलिटी शुरू होने के बाद कुछ नहीं बोलने वाला ग्राहक बैंक से बात किए बिना दूसरे बैंक के पास चला जाएगा। मूंदड़ा ने यह भी कहा कि बड़ी संख्या में बैंक बैंकिंग कोड्स ऐंड स्टैंडर्ड बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा डिजाइन आचार संहिता का पालन नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने साथ ही कहा कि धोखाधड़ी के जरिये होने वाले इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए जल्दी ही अंतिम दिशा निर्देश किया जाएगा। इन नियमों में अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के मामले में ग्राहकों की देनदारी को सीमित रखने का प्रावधान किया जा सकता है।

केंद्रीय बैंक ने पिछले साल अगस्त में इस बारे में नियमों के मसौदे को सार्वजनिक किया था और उस पर सुझाव एवं टिप्पणियां आमंत्रित की गई थीं। मूंदड़ा ने कहा कि हाल के वर्षों में बैंकिंग सेवाओं के मामले में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल लगातार बढ़ा है। लेकिन इसके साथ ही सुरक्षा से जुड़े जोखिम भी सामने आए हैं।

ये जोखिम कई चर्चित साइबर धोखाधड़ी हमलों, व्यक्तिगत सूचनाओं की चोरी व एटीएम धोखाधड़ी और इंटरनेट बैंकिंग घपलों के रूप में सामने आए हैं। मूंदड़ा ने कहा कि इसके अंतिम दिशानिर्देशों में धोखाधड़ी वाले लेनदेन की जानकारी देने की समयसीमा, अवैध लेनदेन के मामले में ग्राहक द्वारा वहन की जाने वाली देनदारी और इस तरह की घटनाओं में बैंकों की जवाबदेही के बारे में स्पष्ट तौर पर जिक्र होगा।