-बृजेश विजयवर्गीय-
कोटा। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन ने गडकरी सड़क दुर्घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए ब्लैक स्पॉट ठीक करने के लिए 40 हजार करोड़ का प्रावधान किया है। इसके पूर्व नितिन गडकरी ने सड़क हादसों पर अफसोस व्यक्त करते हुए बताया था कि उच्च तकनीकी सड़कों के बावजूद हादसे होना चिंताजनक है।
इन सड़क हादसों में प्रतिदिन हजारों लोगों की मौत होती है। भारत में पौने दो लाख लोग हर साल बैमौत मारे जाते हैं। यह मौत का आंकड़ा किसी भी महामारी और दंगों की विभीषिका से भी ज्यादा है। ऐसा नहीं है कि सरकार सड़क हादसों को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही, लेकिन स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि सरकार को अभी बहुत कुछ करना होगा।
यदि मंत्री महोदय इस दिशा में प्रयास करना चाहते हैं तो उनको सबसे पहले ये प्रावधान करना होगा कि
- टोल नाकों पर इस बात की भी जांच हो जाए कि ड्राइवर ने शराब पी रखी है या नहीं या उसको नींद के झोंके आ रहे हैं कि नहीं या वह अधिक उम्र का तो नहीं है।
- आप जब भारी भरकम टोल वसूल कर रहे हैं तो सरकार को यह भी करना चाहिए कि सभी टोल नाकों को इस बात की भी जिम्मेदारी दी जाए की सड़कों पर आवारा जानवर विचरण न करें।
- राष्ट्रीय और राज्य के मेगा राजमार्गों के आसपास शराब और अन्य नशीले पदार्थों की दुकानों को खोलने पर सख्ती से पाबंदी लगाई जाए। नशे के आदि लोग नशा करके ही वाहन चलाते है।अधिकांश हादसों में यह सामने आया है कि वाहन चालक नशे में धुत्त रहते हैं।
- ओवरलोडिंग वाहनों को सड़कों पर चलने से रोकने की जिम्मेदारी हर जिला परिवहन अधिकारी को दी जाए जिनके क्षेत्रों में से राष्ट्रीय राजमार्ग एवं मेगा हाईवे निकलते हैं। सरकार का यह भी काम होना चाहिए कि इन परिवहन विभागों में पर्याप्त मात्रा में स्टाफ अधिकारी और कर्मचारी तैनात होने चाहिए। अभी तो परिवहन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कहते हैं कि हमारे पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है।
- सड़कों पर अतिक्रमण हटाने की जवाबदेही भी तय की जाए अभी कोई भी एक विभाग इस जवाबदेही लेने को तैयार नहीं होता।
- निर्माण कार्य में लगी एजेंसियों को सड़क मार्ग बंद करने से पहले सावधानियों के इंतजाम करने चाहिए। लंबे और बड़े काम के लिए 1 किलोमीटर से ज्यादा के एरिया को बंद करना बुद्धिमता का काम नहीं है।
- गति सीमा को नियंत्रित करने के लिए मॉनिटरिंग सिस्टम को चुस्त बनाने की आवश्यकता है अभी मॉनिटरिंग सिस्टम सख्त नहीं है।
- एक निश्चित उम्र के बाद के वाहन चालकों पर शक्ति से रोक लगाई जाए।
- जहां भी शहरों के बाईपास निकाले जाते हैं आबादी उसी और बढ़ने लगती है। किसान लोग अपने खेतों की जमीनों पर आवासीय भूखंड काट देते हैं और स्थानीय नगर पालिका, पंचायत प्रशासन उन्हें नियमितीकरण भी कर देती है। स्थानीय प्रशासन का दायित्व बनता है कि सड़कों के आसपास अनावश्यक गतिविधियों को बढ़ाने से रोका जाए।
प्रायः देखने में आता है कि सड़कों के आसपास बहुत अधिक मात्रा में ढाबे, रेस्टोरेंट, चाय की गुमटियां पंचर मैकेनिक, गाडियां ठीक करने वाले आ जाते हैं और वहां एक बाजार का स्वरूप बन जाता है। सरकार के अलावा वाहन चालकों एवं मालिकों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि रात्रि के समय अनावश्यक यात्रा न करी जाए जहां तक कि बहुत आवश्यक ना हो। रात सोने के लिए है न कि मौत के मुंह में जाने के लिए।
अधिकांश हादसे मध्य रात्रि के बाद प्रातः की बेला में ही होते हैं जब वाहन चालकों को नींद के झोंके आने लगते हैं। इसके लिए खुद वाहन चालकों को जागरूक रहना होगा। मेरा तो सड़क परिवहन मंत्री जी को एक सुझाव और है कि जिस प्रकार रेलवे ट्रैक की सुरक्षा के लिए सक्षम पॉइंट्स मेन तैनात होते हैं, उसी प्रकार सड़क सुरक्षा के लिए भी पॉइंट्स मैन तैनात होना चाहिए, जो प्रत्येक किलोमीटर पर यह निगरानी रखें कि यातायात के प्रवाह में कोई बाधा तो नहीं है। इस व्यवस्था को करने से देश भर में लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा और बेशकीमती जानें भी बचेंगी।