नई दिल्ली। कंपनियों के तिमाही नतीजे और वैश्विक रुझान इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय करेंगे। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। इसके अलावा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की कारोबारी गतिविधियों पर भी सभी की निगाह रहेगी।
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौड़ ने कहा, ‘‘घरेलू बाजार की निगाह कंपनियों के मार्च तिमाही के नतीजों और कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर रहेगी। सप्ताह के दौरान एशियन पेंट्स, सिप्ला, आयशर मोटर्स, लार्सन एंड टुब्रो और यूपीएल के चौथी तिमाही के परिणाम घोषित होंगे।’’
उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये का उतार-चढ़ाव और कच्चे तेल की कीमतें भी बाजार की धारणा को प्रभावित करेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक बाजार की स्थिति कमजोर है। हर किसी की नजर अमेरिकी क्षेत्रीय बैंकिंग प्रणाली (छोटे बैंकों) पर है, जो संकट में है।’’ इसके अलावा सप्ताह के दौरान अपोलो टायर्स, इंडियन ओवरसीज बैंक और टाटा मोटर्स के तिमाही नतीजे भी घोषित होंगे।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष-तकनीकी शोध अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘इस सप्ताह बाजार भागीदारों की निगाह वृहद आर्थिक आंकड़ों..औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर रहेगी।’’
इसके अलावा 10 अप्रैल को अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़े भी आने हैं। पिछले सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 58.15 अंक या 0.09 प्रतिशत के नुकसान में रहा था। गत शुक्रवार को एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी लि. के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। इस तरह की खबरें आई हैं कि विलय के बाद अस्तित्व में आने वाली एचडीएफसी की इकाई से बड़ी मात्रा में पूंजी की निकासी हो सकती है।
इसके बाद इन कंपनियों के शेयर नीचे आ गए। बाजार विश्लेषकों के अनुसार, घरेलू बाजार पिछले सप्ताह की शुरुआत में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के प्रवाह और अनुकूल घरेलू वृहद आर्थिक आंकड़ों की वजह से सकारात्मक बना रहा।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘अप्रैल में भारत ने ज्यादातर बाजारों से बेहतर प्रदर्शन किया। इसकी मुख्य वजह एफआईआई की लिवाली है। पिछले सात कारोबारी सत्रों यानी 26 अप्रैल से पांच मई तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 11,700 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं।’’