नई दिल्ली। आर्थिक अस्थिरता के बावजूद भारत का विदेश व्यापार चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 में 1.6 लाख करोड़ डॉलर के पार पहुंच सकता है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने एक रिपोर्ट में कहा, 2022-23 के लिए 1.6 लाख करोड़ डॉलर देश की नॉमिनल जीडीपी (3.4 लाख करोड़) का करीब 48 फीसदी होगा।
आर्थिक शोध संस्थान के सह संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, व्यापार-जीडीपी का उच्च अनुपात भी कारोबार में ज्यादा खुलेपन की बात करता है। उन्होंने कहा, वस्तु निर्यात के मुकाबले सेवाओं के निर्यात की ज्यादा वृद्धि दर ने देश के निर्यात के कुल प्रदर्शन में सुधार किया है।
बीते वित्त वर्ष में भारत का कुल निर्यात (माल एवं सेवा) 755 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। यह 2021-22 की तुलना में करीब 11.6% अधिक होगा। चालू वित्त वर्ष में भारत का व्यापारिक निर्यात 5 फीसदी बढ़कर 442 अरब डॉलर व सेवाओं का निर्यात 22.6 फीसदी बढ़कर 311.9 अरब डॉलर होने का अनुमान है। 2021-22 में विदेश व्यापार 1.43 लाख करोड़ डॉलर रहा था।
पेट्रोल-डीजल की बिक्री बढ़ी
कृषि क्षेत्र की मजबूत मांग और परिवहन में तेजी से देश में मार्च में ईंधन की मांग बढ़ी है। उद्योग के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, पेट्रोल की बिक्री मार्च में 5.1 फीसदी बढ़कर 26.5 लाख टन पहुंच गई। मासिक आधार पर बिक्री 3.4 फीसदी बढ़ी है। इस दौरान डीजल की मांग 2.1 फीसदी बढ़कर 68.1 लाख टन हो गई। मासिक आधार पर मांग 4.5 फीसदी बढ़ी है। विमान ईंधन की मांग 25.7 फीसदी बढ़कर 6,14,000 टन पहुंच गई। हालांकि, रसोई गैस की बिक्री 3 फीसदी गिरकर 23.7 लाख टन रही।
बिजली खपत में कमी
देश में बिजली की खपत मार्च, 2023 में 0.74 फीसदी घटकर 127.52 अरब इकाई रह गई। यह 31 महीने पहला मौका है, जब खपत घटी है। बिजली की खपत में कमी का प्रमुख कारण देश में पश्चिमी विक्षोभ से भारी बारिश व मार्च में तापमान कम रहना है। इससे पहले अगस्त, 2020 में खपत में कमी आई थी।