नई दिल्ली। क्राइम ब्रांच (सेंट्रल रेंज) ने भारी मात्रा में नकली जीरा बनाने की फैक्ट्री पकड़ी है। । गोदाम व वहां खड़े ट्रक से पुलिस ने 4,198 किलो नकली जीरा बरामद किया है। यही नहीं नकली जीरा बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जंगली घास, शीरा (तरल गुड़) व पत्थरों का पाउडर भी भारी मात्रा में बरामद हुआ है।
पुलिस ने फैक्ट्री मालिक सुरेश गुप्ता (41) को गिरफ्तार कर लिया है। इसके खिलाफ धोखाधड़ी समेत विभिन्न संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है। आरोपी से पूछताछ कर पता लगाया जा रहा है कि वह अब तक कहां-कहां नकली जीरे की सप्लाई कर चुका है। मामले में कईं और गिरफ्तारियां संभव हैं।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मंगलवार देर रात उनकी टीम को सूचना मिली कि कंझावला इलाके में सुरेश गुप्ता नकली जीरा बनाने का काम करता है। आज रात वह ट्रक में माल लोड कर के सप्लाई के लिए जाएगा। देर रात 3:30 बजे टीम मदनपुर रोड, कंझावला दबिश के लिए पहुंची। उसी दौरान एक गोदाम से राजस्थान नंबर का ट्रक निकलता हुआ दिखाई दिया।
मुखबिर ने इशारा किया तो ट्रक को रुकवाया गया। कंडक्टर सीट पर सुरेश बैठा था। उसने बताया कि वह जीरा सप्लाई करने के का काम करता है। ड्राइविंग सीट पर अमेठी का वारिस था। दोनों को पूछताछ के लिए अंदर गोदाम मे ले जाया गया। वहां जांच करने पर पता चला कि नकली जीरा बनाया जा रहा है। फूड सेफ्टी ऑफिसर को बुलाकर जीरे का सैंपल उन्हें दे दिया गया है।
तलाशी लेने पर ट्रक से नकली जीरे की 348 बोरियां मिलीं। जबकि गोदाम में 55 बोरियां थीं। हर बोरी का वजन 70 किलो पाया गया। इसके अलावा 35 बोरियां जंगली फूलों की घास की मिलीं, एक बोरी का वजन 25 किलो था। 10 कैन शीरा मिला, एक कैन में 40 लीटर शीरा था। पत्थर के पाउडर के 25 कट्टे मिले, एक कट्टे का वजन 50 किलो था।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि अब तक की पूछताछ में आरोपी सुरेश ने खुलासा किया है कि उसने यह गोदाम एक महीने पहले ही किराये पर लिया था। वह तभी से वहां नकली जीरा बना रहा था। आमतौर पर बाजार में जीरा 250 से 300 रुपये किलो है। मगर सुरेश 150 रुपये के आसपास डील तय कर के जीरा सप्लाई की कर रहा था।
ऐसे करें पहचान: सैंपल जुटाने वाले फूड सेफ्टी ऑफिसर ने बताया कि असली-नकली का सर्टिफिकेट तो लैब में बैठे एक्सपर्ट देते हैं। मगर हम फील्ड में रहते हैं तो जीरे को देखकर बता सकते हैं कि वह असली है या नकली। सबसे पहले तो जीरे को हाथ पर मसल कर देख लें। मसलने से असली जीरे का कुछ नहीं बिगड़ता, जबकि नकली जीरा मिट्टी की तरह बिखर जाता है। नकली जीरे में खुशबू भी नहीं होती है।